हिन्दी रत्न 2005 – डॉ. वेणुगोपाल कृष्ण

सन 2005 का ‘हिन्दी रत्न’ सम्मान निष्ठावान हिन्दीसेवी और मलयालम के सुपरिचित रचनाकार डॉ. वेणुगोपाल कृष्ण को प्रदान किया गया।

इस अवसर पर श्री कृष्णचंद्र पंत ने कहा- “श्री वेणुगोपाल मलयालम और हिन्दी भाषा में समान रूप से लेखन कर रहे हैं।

दिल्ली के उपराज्यपाल श्री बनवारीलाल जोशी ने कहा कि “साहित्य के लिए दर्द का अनुभव जरूरी है। अगर शाश्वत साहित्य का सृजन होता रहे तो भाषा की चिंता करने की जरूरत नहीं।”

इनके अलावा टंडनजी के पौत्र डॉ. राकेश टंडन ने अपने दादाजी के संस्मरण सुनाए। सांसद उदयप्रताप सिंह ने डॉ. वेणुगोपाल कृष्ण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। श्रीमती शकुंतला आर्य (पूर्व महापौर, दिल्ली) ने पं. भीमसेन विद्यालंकार की पत्रकारिता से संबंधित सेवाओं से सभी को अवगत कराया।

समारोह का संचालन डॉ. रत्ना कौशिक ने किया तथा आगंतुकों का आभार व्यक्त किया श्री रामनिवास लखोटिया ने।

इस अवसर पर राजधानी के कई गणमान्य साहित्यकार, पत्रकार एवं हिन्दी प्रेमियों की काफी संख्या में गरिमामयी उपस्थिति रही।