‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2000 – श्री मनोहरश्याम जोशी

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रख्यात कथाकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, कुशल संपादक और स्तंभ-लेखक के सफल लेखक श्री मनोहरश्याम जोशी को चौथा ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ माननीय प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा प्रदान किया गया। जोशी जी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया। रोजी-रोटी की खातिर छात्र जीवन से ही लेखक बन गए। खेल-कूद से लेकर दर्शनशास्त्र तक कोई ऐसा विषय नहीं जिस पर उन्होंने कलम न उठाई हो।

जहां उन्होंने ‘हम लोग’, ‘बुनियाद’, ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ और ‘कक्काजी कहिन’ जैसे लोकप्रिय टी. वी. धारावाहिक लिखे, वहीं ‘कुरु-कुरु स्वाहा’,’कसप’,’हरिया हरकुलिस की हैरानी’ जैसे महत्वपूर्ण उपन्यास और ‘नेताजी कहिन’ जैसा धारदार व्यंग्य-स्तंभ का भी लेखन किया। ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ समारोह-2000 की अध्यक्षता योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री कृष्णचंद्र पंत ने की और सान्निध्य रहा हिन्दी भवन न्यास के अध्यक्ष श्री धर्मवीर (आई.सी.एस.) का।

मनोहर श्याम जोशी ने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। बता दें कि उनकी पहली कहानी अठारह वर्ष की आयु में छपी थी लेकिन पहली बड़ी साहित्यिक कृति सैंतालीस वर्ष की आयु में प्रकाशित हुई। बाद में, “क्याप” उपन्यास के लिए उन्हें वर्ष 2005 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (Sahitya Akademi Award) से सम्मानित किया गया।

हिन्दी भवन सभागार में आयोजित इस विशिष्ट सम्मान समारोह में हिन्दी और व्यंग्यप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी,जिनमें दिल्ली के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और समाज सेवी आदि प्रमुख थे।