हिंदी में व्यंग्य की परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है। उसी परंपरा को बढ़ाने वाले वर्तमान समय के महत्वपूर्ण व्यंग्य-हस्ताक्षर श्री गोपाल चतुर्वेदी को पांचवां ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ हिन्दी भवन के भव्य समारोह में श्री वसंत साठे द्वारा प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने की।
इस समारोह में सान्निध्य रहा पं.गोपालप्रसाद व्यास का और प्रमुख वक्ता थे डॉ. कन्हैयालाल नंदन। इस अवसर पर सर्वश्री ओमप्रकाश आदित्य,अशोक चक्रधर और प्रभाकिरण जैन ने अपने काव्य-पाठ से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। श्री गोपाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय सहारा, इंडिया टुडे, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान और साहित्य अमृत में नियमित व्यंग्य कॉलम लिख रहे हैं। इनकी चर्चित कृतियां हैं-‘अफसर की मौत’,’दुम की वापसी’,’खंभों का खेल’,’फाइल पढ़ि पढ़ि’,’आज़ाद भारत में कालू’,’दांत में फंसी कुर्सी’,’गंगा से गटर तक’और ‘राम झरोखे बैठकें’ आदि । गोपाल चतुर्वेदी की लेखन यात्रा उन्हें बराबर मानवीय बने रहने और मनुष्यता, न्याय, सटीकता के प्रबल पक्षधर के रूप में प्रस्तुत करती है।
हिन्दी भवन सभागार में आयोजित इस भव्य समारोह में हिन्दी और व्यंग्यप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी,जिनमें दिल्ली के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी आदि प्रमुख थे।