समकालीन व्यंग्य एवं कथा-साहित्य में अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्व रखने वाली डॉ. सूर्यबाला को ग्यारहवें ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ से नवाज़ा गया।
डॉ. सूर्यबाला के दस कथा-संग्रह और तीन व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें प्रमुख है :- अजगर करे न चाकरी, धृतराष्ट्र टाइम्स, देश-सेवा के अखाड़े में (व्यंग्य-संग्रह) मेरे संधि-पत्र, सुबह के इंतज़ार तक, अग्निपंखी, यामिनी कथा, दीक्षांत (उपन्यास) एक इंद्रधनुष, दिशाहीन, थाली भर चांद, मुंडेर पर, गृहप्रवेश, सांझवाती, कात्यायनी संवाद, इक्कीस कहानियां,पांच लंबी कहानियां, सिस्टर ! प्लीज आप जाना नहीं, मानुस गंध (कथा-संग्रह) आदि ।
व्यंग्यश्री सम्मान-2007 से सम्मानित डॉ. सूर्यबाला की ‘सज़ायाफ़्ता’ कहानी पर बनी टेलीफ़िल्म को वर्ष 2007 का सर्वश्रेष्ठ टेलीफ़िल्म पुरस्कार मिला । डॉ. सूर्यबाला ‘प्रियदर्शिनी पुरस्कार’, ‘व्यंग्यश्री पुरस्कार’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान’, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का राजस्तरीय सम्मान, महाराष्ट्र साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च ‘शिखर सम्मान’, ‘राष्ट्रीय शरद जोशी प्रतिष्ठा पुरस्कार’, भारतीय प्रसार-परिषद का ‘भारती गौरव सम्मान’ आदि सम्मानों से सम्मानित हो चुकी हैं ।
इस समारोह की मुख्य अतिथि थीं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सरोदवादिका श्रीमती शरनरानी बाकलीवाल। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डॉ. निर्मला जैन ने की।
समारोह का संचालन प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने किया । हिन्दी और व्यंग्यप्रेमियों से खचाखच भरे हिन्दी भवन सभागार में दिल्ली के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी उपस्थित थे।