‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2010 – श्री यज्ञ शर्मा

प्रतिवर्ष 13 फरवरी को दिए जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ साहित्य जगत का प्रतिष्ठित सम्मान है। वर्ष 2010 के ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ से चर्चित व्यंग्यकार श्री यज्ञ शर्मा को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया।

व्यंग्यश्री सम्मान ग्रहण करने के बाद श्री यज्ञ शर्मा ने व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए श्री यज्ञ शर्मा ने अपने व्यंग्य-लेखों का पाठ किया। डॉ. कन्हैयालाल नंदन ने व्यंग्यश्री यज्ञ शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि आज व्यंग्य शैली है या विधा, यह बहस खत्म हो चुकी है। आज व्यंग्य लेखन पूरे जोरों पर है। यज्ञ शर्मा छोटे-छोटे वाक्यों वाली अपनी छोटी-छोटी व्यंग्य रचनाओं में गहरी बात कहते हैं।

समारोह के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि पुरस्कार के चयन में गुणवत्ता, निरंतरता और पारदर्शिता को आधार बनाया गया है। इस सम्मान का नामकरण पं. गोपालप्रसाद व्यास ने सही किया था। जिसे ‘व्यंग्यश्री’ मिल जाए उसे ‘पद्मश्री’ की दरकार नहीं होती। यज्ञजी को व्यंग्यश्री से सम्मानित करके व्यंग्य का सम्मान किया गया है। पं. गोपालप्रसाद व्यास भारतीय परंपरा के व्यंग्यकार थे तो यज्ञ शर्मा व्यास-परंपरा के व्यंग्यकार हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि यज्ञ शर्मा ने अपने व्यंग्य कॉलम में मुंबई में प्रचलित मुहावरे खाली-पीली को नया अर्थ दिया। उन्होंने कहा कि श्री शर्मा की रचनाएं बड़ी मेहनत से लिखी गई हैं। कहने को लेखन स्वांतः सुखाय होता है, लेकिन यह प्रकारांतर से सामाजिक कल्याण की भावना से लिखी जाती है और एक प्रकार से इस तरह का लेखन ही वास्तविक तौर पर सम्मान करने योग्य है। इन्होंने व्यंग्य लेखन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया है, और पूरी आस्था से उसका निर्वाह किया है।

श्री यज्ञ शर्मा के सत्साहित्य प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित पहले व्यंग्य-संग्रह ‘सरकार का घड़ा’ का लोकार्पण भी किया गया। समारोह का संचालन डॉ. प्रेम जनमेजय ने किया।