‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2013 – श्री हरि जोशी

नई दिल्ली। प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान- 2013’ चर्चित व्यंग्यकार श्री हरि जोशी को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

इस सत्रहवें व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित श्री जोशी को जाने-माने व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजनय ने बधाई देते हुए कहा कि परंपरा बनाना आसान है, उसको निभाना बहुत मुश्किल है। हिन्दी भवन पिछले सोलह वर्षों से ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ दे रहा है। जितने भी व्यंग्य के श्रेष्ठ रचनाकार हैं, उन्हें इस सम्मान से नवाजा जा चुका है।

यज्ञ शर्मा ने हिन्दी भवन के संस्थापक व्यासजी का स्मरण करते हुए कहा कि हरि जोशी हमेशा आत्म विश्वास से लबालब रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इनके नाम में हरिशंकर परसाई का ‘हरि’ और शरद जोशी का ‘जोशी’ सम्मिलित है। व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए हरि जोशी ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को याद किया तथा उनसे संबंधित कुछ संस्मरणों के साथ-साथ उनकी एक कविता ‘अफसर और घोड़ा’ तथा अपने दो व्यंग्य रचनाओं का पाठ भी किया।

वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि व्यंग्यकार का दायित्व समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के इस कठिन दौर में विशेष रूप से युवा पीढ़ी की हिन्दी से विमुखता पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यंग्यकार की जिम्मेदारी और महत्वपूर्ण हो जाती है। व्यंग्यकार अपनी भाषा की रोचकता के माध्यम से इस पीढ़ी तक पहुंच कर उसे अपनी भाषा एवं संस्कृति की ओर लौटा सकता है।

इस समारोह का कुशल संचालन श्रीमती इन्दिरा मोहन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रसिद्ध व्यंग्य कवि एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने किया। इस समारोह में अनेक साहित्यकार, पत्रकार, हिन्दी सेवी आदि उपस्थित रहे।