नई दिल्ली। हिंदी भवन द्वारा दिए जाने वाले ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ की अगली कड़ी में उन्नीसवां ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ इस बार वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री नरेन्द्र कोहली को एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करने के साथ हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को याद करते हुए नरेन्द्र कोहली ने कहा कि व्यास जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी जन्मशती के अवसर पर मुझे व्यंग्यश्री सम्मान मिलना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जब तक आपमें आक्रोश नहीं, तब तक आप अच्छा व्यंग्य लिख ही नहीं सकते। व्यंग्य लिखने के लिए करुणा और आक्रोश दोनों की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी तीन व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया।
इस उन्नीसवें व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित श्री कोहली का परिचय देते हुए व्यंग्यकार श्री सुभाष चन्दर ने नरेन्द्र कोहली कहा कि उनका व्यंग्य जो भी तोड़ने लायक है, उसे रेखांकित करता है। उन्होंने व्यासजी को स्मरण करते हुए कहा कि व्यासजी की तपस्या का फल आज हमें ‘हिन्दी भवन’ के रूप में दिखाई दे रहा है।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं समारोह के अध्यक्ष श्री बालस्वरूप राही ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज व्यासजी की जन्मशती नहीं, हिन्दी साहित्य में हास्य-व्यंग्य की जन्मशती है। श्री राही ने कहा कि नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य आदमी को कचोटता ही नहीं, एक दिशा भी प्रदान करता है। हिन्दी भवन ने कोहली जी को सम्मानित करके ‘व्यंग्यश्री’ सम्मान को गौरवान्वित किया है।
इस सम्मान समारोह में देश के जानेमाने साहित्यकार, पत्रकार और समाज सेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।