नई दिल्ली। इक्कीसवां ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ प्रसिद्ध वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री आलोक पुराणिक को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। श्री आलोक पुराणिक ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को नमन करते हुए व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार प्रकट किया।
श्री सुभाष चन्दर ने श्री आलोक पुराणिक को ‘व्यंग्यश्री’ मिलने पर बधाई दी तथा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज व्यंग्य का सबसे लोकप्रिय नाम आलोक पुराणिक है। व्यंग्य में जितनी प्रयोगधर्मिता आलोक के लेखन में मिलती है, वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलती।
इसी क्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरीश नवल ने कहा कि आलोक पुराणिक ने व्यंग्य लेखन की शुरूआत आर्थिक विषयों पर व्यंग्य-लेखन से की थी और अब वह महत्वपूर्ण व्यंग्यकार हैं। जब हास्य में व्यंग्य का प्रयोग होता है तो रचना की गुणवत्ता बढ़ जाती है। वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने हिन्दी भवन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने आलोक पुराणिक का व्यंग्यश्री सम्मान के लिए चयन करके ठीक ही किया है, क्योंकि आलोक इस सम्मान को पाने के योग्य हैं। उनके लेखन में विविधता है। उन्होंने आलोक पुराणिक को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी शक्ति का अहसास दिलाने के लिए यह सम्मान आपको दिया गया है। व्यंग्य के सौंदर्य -शास्त्र की आपकी समझ बाकियों से अलग है। वरिष्ठ हास्य कवि डॉ. अशोक चक्रधर ने कहा कि आलोक पुराणिक ने नए शब्दों को अलग-अलग तरीके से गढ़ने का हुनर दिखाया है। तमाम स्थितियों को भिन्न-भिन्न कोणों से देखने की क्षमता का विकास आलोक पुराणिक ने किया है। जब तक चिंता नहीं होती, तब तक व्यंग्य भी नहीं उपजता। व्यंग्य चिंता से पैदा होता है। आलोक पुराणिक भूमंडलीकरण के खिलाफ रचने वाले व्यंग्यकार हैं।
इस समारोह का प्रारंभ हिन्दी भवन के मंत्री एवं सुप्रसिद्ध व्यंग्य कवि डॉ. गोविन्द व्यास ने किया तथा कुशल संचालन युवा व्यंग्यकार श्री नीरज बधवार ने किया।
इस सम्मान समारोह में देश के जानेमाने साहित्यकार, पत्रकार और समाज सेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।