नई दिल्ली। हिन्दी भवन में बाइसवें व्यंग्यश्री सम्मान के आयोजन में इस बार का ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ चर्चित व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज को प्रदान किया गया।
इस बाइसवें व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित श्री गिरीश पंकज ने व्यंग्यश्री सम्मान के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करने के साथ पंडित गोपालप्रसाद व्यास को याद करते हुए कहा कि व्यंग्य का सबसे बड़ा सम्मान व्यंग्य के सबसे छोटे व्यंग्यकार को मिल रहा है। जिसको मिल गई ‘व्यंग्यश्री’ वह क्यों चाहेगा ‘पद्मश्री’। उन्होंने उस समय अपनी दो व्यंग्य रचनाओं का पाठ भी किया।
प्रथम व्यंग्यश्री सम्मान से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग के साथ मंच पर आसीन सभी व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित अतिथियों ने पं. गोपालप्रसाद व्यासजी का स्मरण करते हुए, उनसे जुड़े अनेक रोचक संस्मरण साझा किए।श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह का कुशल संचालन श्री आलोक पुराणिक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी भवन के प्रबंधक श्री सपन भट्टाचार्य ने किया।
इस अवसर पर राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, हिन्दी सेवी एवं राज-समाजसेवियों की बड़ी संख्या में गरिमामय उपस्थिति रही।