सन 2004 का 'हिन्दी रत्न’ सम्मान डोगरी एवं हिन्दी की लोकप्रिय साहित्यकार श्रीमती पद्मा सचदेव को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली के महामहिम उपराज्यपाल श्री बनवारीलाल जोशी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “पुरुषोत्तम मास में पैदा हुए टंडनजी वास्तव में पुरुषोत्तम थे और किसी भी पद के प्रति अनासक्त थे।” श्री जोशी ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद के अनुरोध पर राजर्षि टंडन के नाम पर किसी मार्ग का नामकरण और डाक टिकट जारी करने का आश्वासन दिया।
वक्ता श्री मनोहर विद्यालंकार ने राजर्षि टंडन और भीमसेन विद्यालंकार के गुणों में समानता को रेखांकित किया। इस अवसर पर हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार एवं पत्रकार श्री धर्मवीर भारती के तैल- चित्र का अनावरण उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा भारती द्वारा किया गया।
समारोह की अध्यक्षता की हिन्दी भवन के अध्यक्ष एवं कर्नाटक के राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने।
हिन्दी भवन के मंत्री डॉ0 गोविन्द व्यास ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और समारोह का संचालन डॉ. आशा जोशी ने किया।
समारोह में हिन्दी के विशिष्ट साहित्यकार,पत्रकार ,लेखक,समाज सेवी और हिंदी प्रेमियों की बड़ी संख्या में गरिमामयी उपस्थिति रही।