सन 2009 का ‘हिन्दी रत्न सम्मान-’ राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के रंगमंच को नई पहचान और नए आयाम देने वाले पुरोधा रंगकर्मी और कला-मर्मज्ञ श्री इब्राहिम अलकाज़ी को प्रदान किया गया।
‘हिन्दीरत्न सम्मान’ ग्रहण करने के उपरांत श्री इब्राहिम अलकाज़ी ने अपने संक्षिप्त उदबोधन में कहा कि थियेटर एक खोज है, अपनी ज़िंदगी में, ज़िंदगी के बारे में तथा ज़िंदगी के प्रयोजन की।
श्रीमती मीरा कुमार का संदेश समारोह के संचालक श्री रामगोपाल बजाज ने पढ़कर सुनाया।
इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार श्री कन्हैयालाल नंदन ने कहा कि श्री इब्राहिम अलकाज़ी ने भारतीय रंगकर्म को जो ऊंचाई दी है, उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा।
डोगरी और हिन्दी की प्रख्यात कवयित्री श्रीमती पद्मा सचदेव ने श्री अलकाज़ी की तुलना ग़ालिब से की ।
समारोह के संचालक वरिष्ठ रंगकर्मी और अलकाज़ी के शिष्य श्री रामगोपाल बजाज ने किया।
अंत में हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने कृतज्ञता ज्ञापन दिया।
हिन्दीरत्न सम्मान समारोह में राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी, बुद्धिजीवी और समाजसेवी उपस्थित थे।