अलंकरण और सम्मान

• भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ से अलंकृत।

• उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘यश भारती’ सम्मान।

• उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘साहित्यभूषण’ की उपाधि से सम्मानित और पुरस्कृत।

• हिन्दी अकादमी, दिल्ली के शिखर सम्मान ‘शलाका’ से विभूषित।

• उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन स्वर्णपदक’ से विभूषित।

• मुंबई की व्यंग्य-विनोद की शीर्ष संस्था ‘चकल्लस’ से ‘व्यंग्य विशारद’ की उपाधि से अलंकृत और पुरस्कृत।

• स्व0 पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की स्मृति में प्रदान किए जाने वाले ‘ठिठोली’ पुरस्कार और ‘हास्यरसावतार’ की पदवी से अलंकृत और पुरस्कृत।

• वृंदावन की ‘ब्रज अकादमी’ द्वारा ब्रज मंडल और ब्रज-साहित्य के ‘भीष्म पितामह’ के संबोधन से सुशोभित।

• राजधानी की नागरिक परिषद द्वारा समारोहपूर्वक प्रशस्ति।

• हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सर्वप्रथम साहित्यिक पुरस्कार से पुरस्कृत एवं सम्मानित।

• ‘परंपरा’ विशिष्ट सम्मान से विभूषित।

• इनके अतिरिक्त साहित्यरत्न, प्रभाकर, साहित्यवारिधि, पंडित प्रवर आदि अनेक उपाधियों व सम्मानों से विभूषित।

हिन्दी के पचास से ऊपर ग्रथों के लेखक, जिनमें खंडकाव्य, काव्य-संग्रह, व्यंग्य-विनोद एवं ललित निबंध, जीवनी, यात्रा संस्मरण और समीक्षात्मक ग्रंथ शामिल हैं। इनमें से कुछ के देशी और विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हुए हैं।

व्यासजी ने बीस वर्षों के अनवरत परिश्रम के बाद राजधानी में ‘हिन्दी भवन’ की स्थापना की। आज हिन्दी भवन विश्व हिन्दी केन्द्र के रूप में आकार ग्रहण कर चुका है और अपनी प्रगति की ओर निरंतर बढ़ रहा है।