हिन्दी भवन के आधारस्तंभ और पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण धर्मवीर (आई.सी.एस) की जन्मशती हिन्दी भवन सभागार में रविवार, 16 दिसम्बर, 2007 को भव्य समारोह के साथ मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने वक्तव्य में श्री कृष्णचंद्र पंत ने धर्मवीरजी को याद करते हुए कहा-”धर्मवीरजी नेहरूजी के निजी सचिव, केबिनेट सचिव, राजदूत, राज्यपाल और राष्ट्रीय पुलिस आयोग के अध्यक्ष जैसे उच्च पदों पर रहे। इसके बावजूद उन्हें अहंकार छू तक नहीं गया था। वे हिन्दी भवन के साथ-साथ अनेक संस्थाओं के संरक्षक थे। धर्मवीरजी ने राष्ट्रीय पुलिस आयोग की रिपोर्ट में जो सिफारिशें की हैं वे आज भी प्रासंगिक हैं। यदि उन्हें मान लिया जाए तो देश की अव्यवस्थाजन्य कई समस्याएं हल हो जाएंगी।”
हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने धर्मवीरजी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा-”धर्मवीरजी बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। कोई छोटा हो या बड़ा, वे सभी की हरसंभव सहायता के लिए तत्पर रहते थे। राजधानी में हिन्दी भवन का स्वप्न पंडित गोपालप्रसाद व्यास ने देखा था और उसे साकार किया धर्मवीरजी की कर्मठता ने।”
समारोह के मुख्य अतिथि और धर्मवीरजी के निकटस्थ तथा आत्मीय श्री अशोक चन्द्रा ने उन्हें इन शब्दों में याद किया-”धर्मवीरजी ऐसे मनुष्य थे जिनके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति यही समझता था कि वही है जो उनका सबसे निकट और आत्मीय है।”
धर्मवीर जन्मशती के उपलक्ष्य में हिन्दी भवन सभागार में हिन्दी काव्य की एक हज़ार वर्ष की परंपरा को राजनारायण बिसारिया के निर्देशन में पद्मश्री शोभना नारायण, ग़ज़ाला अमीन, गुरु भूमिकेश्वर सिंह जैसे सिद्धहस्त कलाकारों ने अपने लगभग तीस सह-कलाकारों के साथ जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। चंदबरदाई, अमीर खुसरो, कबीरदास, तुलसीदास, मीराबाई, दिनकर, बच्चन और धर्मवीर भारती तक की चुनी हुई कविताओं के इस नृत्य-नाट्य मंचन को देखकर दर्शक अभिभूत थे। प्रकाश और ध्वनि के प्रभाव इतने सशक्त थे कि हिन्दी-कविता के इतिहास को प्रेक्षकों ने दृश्यमान होते देखा। इस नृत्य-नाट्य प्रस्तुति में कवियों की रचनाओं को पार्श्व स्वर दिया-
सर्वश्री डॉ. कैलाश वाजपेयी, रामगोपाल बजाज, दिनेश मिश्र, विनोद तिवारी, स्व. रामकुमार चतुर्वेदी, स्व. देवेन्द्र मल्होत्रा और भारतरत्न भार्गव ने। कथानक को पार्श्व संगीत रघुनाथ सेठ ने दिया और गायन का स्वर था सर्वश्री अनूप जलोटा, शेखर सेन और वाणी जयराम का। परिधान सज्जा जगदीश चौहान की थी और वेशसज्जा हरि खोलिया की। समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी अतिथियों और आगंतुको का स्वागत करते हुए धर्मवीरजी के व्यक्तित्व एवं उनके राष्ट्र और राष्ट्रभाषा को दिए योगदान को रेखांकित किया।
समारोह में सर्वश्री वीरेशप्रताप चौधरी, रामगोपाल बजाज, अजित कुमार, से.रा.यात्री, बालस्वरूप राही, रामनिवास जाजू, इंदु गुप्ता, रोशनलाल अग्रवाल, रामनिवास लखोटिया, महेशचंद्र शर्मा सहित राजधानी के कवि, लेखक, पत्रकार, कलाकार और राज-समाजसेवी भारी संख्या में मौजूद थे।