बाएं से क्रमशः अरुण जैमिनी जी,मुकुल उपाध्याय जी, आलोक पुराणिक जी, इंद्रा मोहन जी,अशोक चक्रधर जी, सुरेंद्र शर्मा जी,गोविंद व्यास जी, हरिवंश नारायण सिंह जी,प्रशांत कुमार जी,गोपाल चंद्र मिश्र जी,चिराग जैन जी,प्रेम जनमेजय जी,रत्नावली कौशिक जी
नई दिल्ली- हिन्दी भवन के सभागार में प्रसिद्ध पत्रकार, कवि, लेखक, संपादक हिन्दी भवन के स्वप्नदृष्टा, संयोजक तथा हिन्दी भवन न्यास समिति के संस्थापक मंत्री पंडित गोपाल प्रसाद व्यास जी की नौ खण्डों एवं 13 भागों में छपी रचनावली का लोकार्पण समारोह 25 मई,2025 की शाम को हिंदी भवन के सभागार में सम्पन्न हुआ।
इस लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि राज्य सभा के उप-सभापति एवं प्रसिद्ध पत्रकार श्री हरिवंश नारायण सिंह जी थे।कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड के प्रथम राज्यपाल तथा भारत के कैबिनेट सचिव रहे श्री प्रभात कुमार जी द्वारा की गई।मंच पर हिन्दी भवन के अध्यक्ष डॉ गोपाल चंद्र मिश्र जी भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम प्रारंभ में हिन्दी भवन की सहमन्त्री डॉ रत्नावली कौशिक ने पंडित गोपाल प्रसाद व्यास जी को याद करते हुए उनके संघर्षमय साहित्यिक और व्यक्तिगत जीवन का सजीव चित्र श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया।जिसको सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोगों की आँखें छलछला गईं।रत्नावली कौशिक ने सबसे नज़दीक से उनके इन संघर्षों को देखा है।
उन्होंने मुख्य अतिथि श्रीहरिवंश जी के भी व्यक्तित्व पर विस्तार से अपनी बात रखी।हिंदी भवन के पूरे इतिहास को उन्होंने सबके सामने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अत्यंत प्रतिष्ठित लाल किला कवि सम्मेलन के लगातार 25 वर्षों तक संयोजक रहे पंडित गोपाल प्रसाद व्यास के साथ अनेक बार कविता पाठ कर चुके प्रसिद्ध कवि डॉ अशोक चक्रधर जी ने व्यास जी के साहित्यिक अवदान को याद करते हुए कहा कि उस समय की साहित्यिक और सामाजिक सक्रियता का ही प्रतिफलन है यह हिंदी भवन।हिंदी के उत्थान के लिए व्यास के द्वारा किए गए प्रयासों का भी जिक्र किया।
इस लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यसभा के उप-सभापति एवं प्रसिद्ध पत्रकार श्री हरिवंश नारायण सिंह जी कहा कि व्यास की रचनावली के लोकार्पण समारोह में आकर अपने आप को गौरवांवित महसूस कर रहा हूँ। उन्होंने अपने देश में हिंदी की महत्ता को बताते हुए व्यास जी के हिंदी के विकास में किए अवदान को अनमोल बताया। यह एक व्यक्ति की निष्ठा,और कर्म के प्रति अनुशासन का ही परिचायक है कि व्यास जी ने लगातार 60 सालों से सभी ज्यादा समय तक पेपरों में स्तंभ लिखते रहे।उन्होंने आगे कहा कि व्यास जी द्वारा रचित साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले था। उन्होंने इस रचनावली के आने पर बधाई देते हुए कहा कि यह रचनावली व्यास जी के असंख्य चाहने वालों के लिए आनंद एवं ज्ञान का स्रोत सिद्ध होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे झारखंड के प्रथम राज्यपाल तथा भारत के कैबिनेट सचिव रहे श्री प्रभात कुमार जी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि आज हिंदी की जो हालत है,वह किसी से छिपी नहीं हैं। हम सबको मिलकर हिंदी के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी है। गैर सरकारी संस्था हिंदी भवन लगातार जिस तरह इस कोशिश में लगा है,वह काबिलेतारीफ है।
मंचासीन प्रसिद्ध कवि डॉ अशोक चक्रधर जी, श्री सुरेन्द्र शर्मा जी,श्री चिराग जैन जी तथा मंच संचालन कर रहे श्री अरुण जैमिनी जी ने श्री व्यास जी के सम्मान में उनकी और अपनी एक- एक कविताओं का पाठ करके उन्हें भावभीनी काव्यांजलि प्रस्तुत की।
गोपाल प्रसाद व्यास रचनावली के संपादक तथा हिन्दी भवन के मंत्री डॉ गोविंद व्यास जी ने बताया कि 2005 में व्यास जी के निधन के बाद से ही उनके पाठकों की भारी मांग पर रचनावली प्रकाशित किए जाने के प्रयास किए जा रहे थे, परंतु व्यास जी द्वारा रचित विपुल साहित्य का संपादन कोई सहज कार्य नहीं था। अनेक बार कई जगह बिखरे हुए व्यास जी के रचनाकर्म को सहेजने, उसे क्रमबद्ध किए जाने, जीर्ण-शीर्ण हो जाने के कारण ठीक से पढ़ी न जा सकने वाली रचनाओं को यथासंभव शुद्ध रूप में पाठकों तक पहुंचाने के प्रयासों में, और कई बार अन्य अनेकों अनापेक्षित कारणों से भी विलंब हुआ। डॉ गोविंद व्यास जी ने आगे कहा कि विलंब से ही सही परंतु अंततः कार्य पूर्ण हो जाने का उन्हें संतोष है।डॉ गोविंद व्यास ने रचनावली के प्रकाशन में सहयोग देने वाले श्री सुरेन्द्र मलिक जी सहित उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस वृहत कार्य में सहयोग प्रदान किया है।
हिन्दी भवन के अध्यक्ष डॉ गोपाल चंद्र मिश्र जी ने मुख्य अतिथि,अध्यक्ष और मंचासीन सभी कवियों के साथ, वहाँ उपस्थित सभी गणमान्य लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कोई भी रचनाकार अपने लेखन से ही बड़ा नहीं होता,बल्कि उसका व्यक्तित्व उसे बड़ा बनाता है। व्यास जी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी रचनाकार थे।
कार्यक्रम में हिन्दी भवन न्यास के सभी न्यासी, दिल्ली शहर तथा बाहर से भी आए हुए अनेक गणमान्य व्यक्ति, पत्रकार, कवि एवं पंडित गोपाल प्रसाद व्यास जी के प्रशंसकों आदि की गरिमामयी उपस्थित रही।