प्रयाण-गीत गाए जा !
तू स्वर में स्वर मिलाए जा !
ये जिन्दगी का राग है–जवान जोश खाए जा !
प्रयाण-गीत ………..
तू कौम का सपूत है !
स्वतन्त्रता का दूत है !
निशान अपने देश का उठाए जा, उठाए जा !
प्रयाण-गीत ……………..
ये आंधियां पहाड़ क्या ?
ये मुश्किलों की बाढ़ क्या ?
दहाड़ शेरे हिन्द ! आसमान को हिलाए जा !
प्रयाण-गीत……………….
तू बाजुओं में प्राण भर !
सगर्व वक्ष तान कर !
गुमान मां के दुश्मनों का धूल में मिलाए जा।
प्रयाण-गीत गाए जा !
तू स्वर में स्वर मिलाए जा !
ये जिन्दगी का राग है–जवान जोश खाए जा।
(‘रंग, जंग और व्यंग्य’ से, सन् 1966)