फाग – फुहार में संगीत साधिका मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति

हिंदी भवन हमेशा कुछ नया,विशिष्ट और अलग करने में विश्वास रखता है। इसी विश्वास का प्रतिफलन है कि कला, साहित्य, संस्कृति और परंपरा के बेजोड़ मेल के रूप में "फाग – फुहार" का आयोजन हिंदी भवन के सभागार में 10 मार्च-2025 को हुआ। इस आयोजन के केंद्र में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कला, साहित्य,संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने में पूरे लगन से लगीं संगीत साधिका मालिनी अवस्थी जी थीं। रंग एकादशी को हुए इस रंगारंग सांस्कृतिक शाम में संगीत की ऐसी सुर लहरियां उठीं कि पूरी शाम सुरमय हो गई।

संगीत की उत्कृष्टता का भान उस शाम सभी वर्गों के श्रोताओं ने किया।सही कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने संगीत को साध लिया,उसे सीधे परमानंद की अनुभूति होती है।मालिनी अवस्थी जी ने न केवल खुद इस आनंद को भोगा, बल्कि समूचा सभागार उस अनुभूति में डूब गया। उनकी इस संगीतमय शाम में देश की लोक संस्कृति में सभी रंगे नज़र आए। क्योंकि यह माना जाता है कि लोकानुभूति से ही सामने वाला अपने को जुड़ा पता है । मालिनी अवस्थी ने अपने संगीत के माध्यम सेउसी अनुभूति से सबको जोड़कर उन्हें भावविभोर कर दिया। संगीत में ऐसा जादू होता है कि वह लोकानुभूति को ऐन्द्रिकानुभूति में संचारित करके उस व्यक्ति को मानसिक तनाव से दूर रखता है। रंग एकादशी की यह शाम ऐसी ही शाम थी। जहाँ रोजमर्रा के तनावों से दूर व्यक्ति ऐसे संगीत के माध्यम से अपने जकड़े मानसिक तंतुओं को थोड़ा ढीला करता जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए संगीत बहुत जरूरी है।

चैत्र मास की यह शाम आज बिरज में होली कृष्ण-राधा की होली राम की फूलों की होली,जोगीरा सरारा बहादुर शाह जफर की होली अंग रंग धोरी जैसे अनेक गीतों की रंगीन स्वर लहरियों में बहती चली गई । उस समय ऐसा लग रहा था कि हिंदी भवन के आसपास की हवा में लोक संगीत गुंजायमान हो रहा है।

हिंदी भवन आगे भी  ऐसे विशिष्ट आयोजन करता रहेगा,जिससे समाज को अपनी संस्कृति और परम्पराओं से जोड़कर रखा जाए।