विष्णु प्रभाकर

हिन्दी भवन समय-समय पर ऐसे महत्वपूर्ण आयोजन आयोजित करता है, जो ऐतिहासिक कहे जा सकते हैं। चाहे किसी साहित्यकार का जन्मशती वर्ष हो या फिर कोई सांस्कृतिक घटना अथवा समकालीन परिदृश्य पर गंभीर परिचर्चा। हिन्दी भवन ने सदैव ऐसे अवसरों पर अनेक विशिष्ट आयोजन किए हैं, जिनकी चर्चा साहित्य जगत में तथा पत्र-पत्रिकाओं में अक्सर होती रहती है।

हिन्दी भवन ने पिछले वर्षों में सर्वश्री जैनेन्द्र कुमार, सुभद्राकुमारी चौहान, लालबहादुर शास्त्री, रामकुमार वर्मा, काका हाथरसी, हरिवंशराय बच्चन तथा रामधारी सिंह दिनकर की जन्मशतियां आयोजित की हैं। इसी परंपरा के अंतर्गत सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की जन्मशती समारोहों की श्रृंखला में शनिवार, 10 सितम्बर, 2011 की संध्या को ‘रंग-सप्तक’ के रंगकर्मियों द्वारा उनकी प्रसिद्ध कहानियों ‘मिडिल स्कलू का हैडमास्टर’, ‘दधू वाले का बेटा’, ‘डायन’, ‘कितने जेबकतरे’ तथा ‘धरती अब भी घूम रही है’ का नाट्य मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से प्रशिक्षित सुरेन्द्र शर्मा के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया।

यह वर्ष प्रभाकरजी का जन्मशती वर्ष है। विष्णुजी हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार थे। उन्होंने शरतचन्द्र की जीवनी ‘आवारा मसीहा’ लिखकर हिन्दी को जो अवदान दिया है, वह अविस्मरणीय है। ‘अर्द्धनारीश्वर’ जैसे श्रेष्ठ उपन्यास की सर्जना उनके द्वारा ही सृजित हुई। वह रेडियो नाटक के जनक थे, परंतु उन्होंने सर्वाधिक रूपक लिखे हैं। यद्यपि उनके समकालीन लेखकों में उल्लेखनीय रूप से उदयशंकर भट्ट, हरिकृष्ण प्रेमी, उपेन्द्रनाथ अश्क तथा जगदीश चन्द्र माथुर ने भी रेडियो नाटक तथा रूपक लिखे हैं, लेकिन आकाशवाणी से सर्वाधिक विष्णु प्रभाकरजी के ही नाटक प्रसारित हुए हैं। काफी हाउस संस्कृति के तो वे आजीवन पर्याय रहे। उनके द्वारा लिखित एकांकी का मंचन सम्पूर्ण भारत के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में किया जाता है। ऐसे गांधीवादी चिंतक, सहज-सरल व्यक्तित्व के स्वामी श्री विष्णु प्रभाकर को हिन्दी भवन की ओर से शत-शत नमन।

श्री रत्नाकर पाण्डेय के मुख्य आतिथ्य एवं श्री रामबहादुर राय (प्रख्यात पत्रकार), प्रख्यात विद्वान एस0 एन0 सिंह (निर्देशक, केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो, गृह मंत्रालय) के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह का सफल संचालन हिन्दी भवन के प्रबंधक श्री सपन भट्टाचार्य ने किया।

समारोह का प्रारंभ विष्णु प्रभाकर के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। दर्शकों से खचाखच भरे एवं लगभग ढाई घंटे चले इस समारोह में हिन्दी भवन की ओर से सर्वश्री रामनिवास लखोटिया, डॉ0 गोविन्द व्यास, हरीशंकर बर्मन, महेशचन्द्र शर्मा, डॉ0 रत्ना कौशिक तथा विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान की ओर से उनके सुपुत्र श्री अतुल प्रभाकर एवं अन्य सभी प्रियजन उपस्थित थे। अन्य गणमान्यअतिथियों में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से सर्वश्री अरुण बर्मन, रामगोपाल शर्मा, चित्र-कला संगम के मंत्री वीरेन्द्र प्रभाकर तथा विष्णु प्रभाकर जन्मशती समारोह समिति की ओर से अनिल जोशी, डॉ0 हरीश नवल, सर्वेश चंदौसवी, नूतन कपूर के साथ-साथ भारी संख्या में विष्णु प्रभाकर के प्रशंसक समारोह के अंत तक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में ‘रंग-सप्तक’ के सभी रंगकर्मियों एवं पार्श्व मंच के सभी सहायको को प्रतीक चिह्‌न देकर सम्मानित किया गया।