‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 1997 – डॉ. शेरजंग गर्ग

हिन्दी में उत्कृष्ट व्यंग्य एवं बाल साहित्य के क्षेत्र में ख़ास तौर पर शोधकार्य करने के लिए अपनी पहचान बनाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग को पहला ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ प्रदान किया गया।

हिन्दी में व्यंग्य-ग़ज़लें और इनका शोध-प्रबंध ‘स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी-कविता में व्यंग्य’ चर्चित रहे। ‘बाज़ार से गुज़रा हूं’, ‘दौरा अंतर्यामी का’, ‘क्या हो गया कबीरों को’ और ‘रिश्वत-विषवत’ डॉ. गर्ग की प्रमुख व्यंग्य-कृतियां हैं।

‘व्यंग्यश्री सम्मान’ समारोह में सर्वश्री गोविंदप्रसाद केजरीवाल, डॉ. प्रेम जनमेजय, डॉ. रत्ना कौशिक, सुरेन्द्र शर्मा, अल्हड़ बीकानेरी और सरोजिनी प्रीतम ने भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता ‘जनसत्ता’ के कार्यकारी संपादक श्री राहुल देव ने की।

सन 2015 में डॉ. गर्ग को बाल साहित्य के क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान के लिए बाल सहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया।

हिन्दी भवन सभागार में आयोजित इस भव्य समारोह में हिन्दी और व्यंग्यप्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी,जिनमें दिल्ली के अनेक साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी आदि प्रमुख थे।