‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2011 – श्री प्रदीप पंत

नई दिल्ली। व्यंग्य के क्षेत्र में दिए जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ प्रत्येक वर्ष इस विधा में उत्कृष्ट काम करने वाले साहित्यकार को दिया जाता है। 2011 का ‘व्यंग्यश्री सम्मान प्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री प्रदीप पंत को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।इस पन्द्रहवें व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित श्री प्रदीप पंत ने हिंदी भवन का धन्यवाद देते हुए, अपने एक व्यंग्य लेख का पाठ किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो व्यंग्य लेखक को अपने ऊपर व्यंग्य करने की क्षमता होनी चाहिए ,तभी वह एक श्रेष्ठ व्यंग्यकार बन सकता है।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने सम्मानित व्यंग्यकार को बधाई देते हुए कहा कि प्रदीप पंत अपनी व्यंग्य रचनाओं में गहरी बात कहते हैं। इस समारोह के अध्यक्ष डॉ. गंगाप्रसाद विमल ने कहा कि आज प्रदीप पंत को व्यंग्यश्री से सम्मानित करके हिन्दी भवन ने अभी तक दिए जाने वाले व्यंग्यश्री सम्मानों में इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि प्रदीप पंत ऐसे व्यंग्यकार हैं, जिन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनीतिक हर प्रकार की विसंगतियों पर व्यंग्य लिखे हैं। पंत, परसाई के बाद के उन लेखकों में से है जिनका लेखन का दायरा विषयगत विविधता के कारण बहुत व्यापक हैं।

समारोह के वरिष्ठ अतिथि डॉ. शेरजंग गर्ग ने कहा कि पं. गोपालप्रसाद व्यासजी के जन्म दिन पर दिया जाने वाला ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ अब राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। ‘पद्मश्री सम्मान’ तो वर्ष में बहुत लोगों को मिलती है, मगर ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ एक ही व्यक्ति को मिलता है। प्रदीप पंत को बधाई देते हुए उन्होंने कहा व्यंग्य लिखना बहुत मुश्किल काम है,जिसे प्रदीप पंत निरंतर 50 वर्षों से बखूबी कर रहे हैं। उनके न केवल व्यंग्य-संग्रह बल्कि कई व्यंग्य उपन्यास भी प्रकाशित हुए हैं, जबकि व्यंग्य लेखकों ने उपन्यास बहुत कम ही लिखे हैं।

समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और व्यंग्यश्री सम्मान का संक्षिप्त परिचय दिया। हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने सभी आगंतुको का धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह का संचालन डॉ. प्रेम जनमेजय ने किया। इस समारोह में राजधानी के अनेक प्रतिष्ठित लेखक,पत्रकार तथा साहित्य सेवी में बड़ी संख्या में उपस्थित थे