‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2014 – श्री जवाहर चौधरी

नई दिल्ली। हिन्दी भवन सभागार में आयोजित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ समारोह में वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री जवाहर चौधरी को अठारहवां व्यंग्यश्री सम्मान देकर सम्मानित किया गया।

साहित्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग ने इस अठारहवें व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित श्री चौधरी को बधाई देते हुए कहा कि व्यास जी की जीवंतता अद्‌भुत थी। उनकी रचनाएं, उनकी बातें, उनकी यादें बहुत आती हैं। वह व्यंग्य के शीर्षस्थ हस्ताक्षर होने के साथ-साथ गद्य के शिल्पी थे।

समारोह के विशिष्ठ अतिथि श्री यज्ञ शर्मा ने व्यास जी को याद करते हुए कहा कि जवाहर भाई इन्दौर यानी मध्यप्रदेश के निवासी हैं। वही मध्यप्रदेश, जिसे वहां की सरकार हिन्दुस्तान का दिल कहती है। वास्तव में तो मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान का व्यंग्य प्रदेश है। मध्यप्रदेश न उत्तर में है, न दक्षिण में। न पूर्व में न पश्चिम में। नहीं-नहीं, इसका यह मतलब नहीं कि मध्यप्रदेश के पास अपनी कोई दिशा नहीं है। असली बात यह है कि मध्यप्रदेश मध्य में है, यानी चारों तरफ से घिरा हुआ है। जो चारों तरफ से घिरा हुआ होगा, वह व्यंग्य नहीं तो और क्या लिखेगा ?

मुख्य अतिथि डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने उनकी व्यंग्य यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने व्यंग्य को थोक के भाव लिखने वालों को आडे हाथों लिया।

वरिष्ठ आलोचक प्रो. नामवर सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में व्यंग्य को व्याख्यायित करते हुए कहा कि व्यंग्य में व्यंजना का होना अनिवार्य है। व्यंग्य में जिस पर व्यंग्य किया जाए वह भी उससे आनंदित और प्रसन्न हो तो व्यंग्य सफल हो जाता है।

इस समारोह का कुशल संचालन हिन्दी भवन की न्यासी डॉ. रत्ना कौशिक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ व्यंग्य कवि एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने किया। इस सम्मान समारोह में देश के जानेमाने साहित्यकार, पत्रकार और समाज सेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।