श्री पहलाद रामशरण

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 136वीं जयंती के अवसर पर प्रखयात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में प्रतिवर्ष हिन्दी भवन द्वारा दिया जाने वाला ‘हिन्दीरत्न’ सम्मान राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रवासी भारतीय श्री पहलाद रामशरण (मॉरिशस) को हिन्दी भवन सभागार में एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

यह सम्मान उन्हें नई दिल्ली में मॉरिशस के उच्चायुक्त महामहिम श्री जगदीश्वर गोवर्धन, श्री कमलकिशोर गोयनका (सुप्रसि़द्ध साहित्यकार एवं उपाध्यक्ष, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा) हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, डॉ. गोविन्द व्यास (मंत्री,हिन्दी भवन) हिन्दी भवन की न्यासी डॉ. रत्ना कौशिक एवं श्रीमती सरला माहेश्वरी ने क्रमशः भेंट किया। सम्मान स्वरूप उन्हें रजत श्रीफल, द्राॉल, सरस्वती प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रुपये की राशि प्रदान की गई।

श्री कमलकिशोर गोयनका ने हिन्दीरत्न से सम्मानित पहलाद रामशरणजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहलादजी ‘हिन्दीरत्न’ सम्मान पाने के वास्तविक पात्र हैं। इन्होंने तीन भाषाओं में ‘इन्द्रधनुष’ नामक पत्रिका निकालकर अद्‌भुत कार्य किया है। साहित्य में पैठ बनाने के लिए व्यक्ति को अपना पूरा जीवन समर्पित करना पड़ता है।

मॉरिशस के उच्चायुक्त श्री जगदीश्वर गोवर्धन ने मॉरिशस की संस्कृति व इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी भवन ने पहलाद रामशरणजी को ‘हिन्दीरत्न’ से सम्मानित करके मॉरिशस का जो सम्मान बढ़ाया है उसके लिए मैं हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करता हूं और पहलादजी को बहुत बहुत बधाई देता हूं। उन्होंने बताया कि कैसे संघर्ष करके मॉरिशस के लोगों ने आज विश्व में अपना स्थान बनाया है।

श्री पहलाद रामशरण ने ‘हिन्दीरत्न’ से सम्मानित होने पर हिन्दी भवन का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हिन्दी भवन ने मुझे सम्मानित करके भारत और मॉरिशस की माला में एक पुष्प पिरोया है। उन्होंने अपने संघर्षमय जीवन पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरे माता-पिता, गुरु के आशीषों तथा गायत्री मंत्र ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है।

अंत में वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया। मंच का कुशल संचालन श्रीमती सरला माहेश्वरी ने किया। समारोह में साहित्यकार, पत्रकार एवं हिन्दीप्रेमी काफी संखया में मौजूद थे।