राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 131 वीं जयंती के अवसर पर प्रख्यात पत्रकार पं. भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में प्रतिवर्ष हिन्दी भवन द्वारा दिया जाने वाला ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर, राजपाल एंड सन्ज़ के मुखिया एवं वरिष्ठ लेखक श्री विश्वनाथ को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
समारोह का शुभारम्भ हिन्दी भवन की न्यासी एवं लोकप्रिय कवयित्री श्रीमती इन्दिरा मोहन द्वारा तिलक कर तथा रजत-श्रीफल भेंट कर हुआ। समारोह के विशिष्ट अतिथि, भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक श्री रवीन्द्र कालिया, द्वारा माल्यार्पण, मुख्य अतिथि, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल महामहिम श्री बनवारीलाल जोशी, द्वारा शॉल, अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व आई. ए. एस. श्री बिशननारायण टंडन द्वारा वाग्देवी की प्रतिमा, हिन्दी भवन के अध्यक्ष एवं कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी द्वारा प्रशस्ति-पत्र, एवं हिन्दी भवन के कोषाध्यक्ष श्री हरीशंकर बर्मन द्वारा एक लाख रुपये की राशि का चेक प्रदान कर श्री विश्वनाथ जी को सम्मानित किया गया।
हिन्दीरत्न से सम्मानित होने के उपरांत श्री विश्वनाथ जी ने हिन्दी भवन का आभार प्रगट करते हुए कहा कि यह सम्मान मेरे लिए अत्यंत मूल्यवान है, क्योंकि यह सम्मान देश में हिन्दी की अलख जगाने वाले राजर्षि श्री पुरुषोत्तमदास टंडन जैसी महान विभूति के जन्म दिवस पर एवं पं. भीमसेन विद्यालंकार जैसे लेखक-पत्रकार जिनका मार्गदर्शन मुझे दस वर्ष तक प्राप्त होता रहा है की स्मृति में दिया गया है।
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक एवं लेखक श्री रवीन्द्र कालिया ने श्री विश्वनाथ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्वनाथजी का विनम्र तथा संघर्षशील जीवन दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक एवं लेखक श्री रवीन्द्र कालिया ने श्री विश्वनाथ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्वनाथजी का विनम्र तथा संघर्षशील जीवन दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।
समारोह के अध्यक्ष, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ लेखक श्री बिशननारायण टंडन ने कहा कि राजधानी में पहली बार लीक से हट कर किसी हिन्दी-सेवी को सम्मानित किया गया है। विश्वनाथजी ने हिन्दी के बहुत से श्रेष्ठ एवं अग्रणी लेखको को सर्वप्रथम प्रकाशित कर अपने हिन्दी-प्रेम को प्रमाणित किया है। राजर्षि टंडनजी को याद करते हुए उन्होने कहा कि आज देश में हिन्दी का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, इसमें टंडनजी का अतुलनीय योगदान है।
हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने अपने आशीर्वचन में राजर्षि टंडन एवं पं. भीमसेन विद्यालंकार को याद करते हुए उनके अनेक संस्मरणों पर प्रकाश डाला। समारोह का कुशल संचालन लोकप्रिय कवि श्री बालस्वरूप राही ने किया। हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी उपस्थित हिन्दीप्रेमियों का धन्यवाद किया। समारोह में राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी, राज-समाज सेवी और हिन्दी-प्रेमी काफी संख्या में मौजूद थे।