हिन्दी रत्न 2006 – श्री साइजी माकिनो

सन 2006 का हिन्दी रत्न सम्मान’ राष्ट्रभाषा हिन्दी के गौरव, समर्पित हिन्दीसेवी, जापानी आत्मा के खोजी, गांधीवादी मूल्यों के संवाहक एवं सृजनशील हिन्दी-यात्री श्री साइजी माकिनो को प्रदान किया।

जापानी राजदूत श्री यासुकोनी इनोकि ने हिन्दी के प्रथम सेनापति महर्षि दयानंद के तैल-चित्र का अनावरण किया। सम्मान ग्रहण करने के बाद श्री साइजी माकिनो ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा- “इतना बड़ा सम्मान मेरे लिए एक बोझ है। आज हिन्दी की वज़ह से ही मैं यहां हूं। उन्होंने हिन्दी भवन द्वारा हिन्दी के प्रचार-कार्यों के लिए श्रद्धा प्रकट की और सम्मान समारोह में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया।

वयोवृद्ध साहित्यकार श्री विष्णु प्रभाकर ने बताया कि साइजी बहुत सरल और विनम्र हिन्दीसेवी हैं। वह गांधीमय, खादीमय और हिन्दीमय हैं। भारत में उनकी जीवनयात्रा ही हिन्दीयात्रा है।

दिल्ली के उपराज्यपाल श्री बनवारीलाल जोशी ने इस बात के लिए श्री माकिनोजी की प्रशंसा की कि उन्होंने अहिन्दीभाषी व्यक्तित्व को हिन्दी में समाहित किया और भारत में 45 वर्षों की अपनी जीवनयात्रा को हिन्दीयात्रा का नाम दिया।

कर्नाटक के राज्यपाल एवं हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री विष्णु प्रभाकर को साइजी माकिनो के व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित कराने के लिए साधुवाद दिया।

अंत में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद दिया। समारोह का संचालन श्रीमती इंदु जैन ने किया।

इस समारोह में दिल्ली के अनेक विद्वान,पत्रकार और प्रबुद्ध समाज सेवी एवं हिंदी प्रेमियों की बड़ी संख्या में गरिमामयी उपस्थिति रही।