श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 134 वीं जयंती के अवसर पर प्रख्यात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में प्रतिवर्ष हिन्दी भवन द्वारा दिया जाने वाला�’हिन्दीरत्न सम्मान’ राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर, अनेक भाषाओं के विद्वान, वरिष्ठ लेखक श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

यह सम्मान उन्हें मूर्धन्य साहित्यकार एवं समालोचक डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी, नाटककार एवं समीक्षक नरेन्द्र मोहन, सुपरिचित साहित्यकार बलदेव वंशी, हिन्दी भवन के अध्यक्ष त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी तथा हिन्दी भवन की न्यासी सुश्री निधि गुप्ता ने क्रमश भेंट किया। सम्मान स्वरूप उन्हें रजत श्रीफल, शॉल, सरस्वती प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। हिन्दीरत्न सम्मान पाने वाले श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी 18 वें अहिन्दीभाषी रचनाकार हैं।

मुख्य अतिथि डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी को बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी भवन सभी भारतीय भाषाओं को सम्मान देता है, यह बहुत बड़ी बात है। देश में सम्मान�तो बहुत दिए जाते हैं लेकिन सम्मान जो भाव से दिया जाता है वह बहुत बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य में जितनी भी क्रांतियां हुई हैं वह सभी दक्षिण भारत से प्रारंभ होकर पूरे देश में फैली है।

हिन्दीरत्न से सम्मानित होने के उपरांत श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी ने कहा कि इस तीर्थस्थल पर आकर मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं। हिन्दी भवन का आभार प्रगट करते हुए उन्होंने कहा कि 1954 में मैं राष्ट्रभाषा रत्न हुआ (वर्धा) फिर 1957 में मैं ‘साहित्यरत्न’ (इलाहाबाद) हुआ और 2015 में मैं ‘हिन्दीरत्न’ हो गया। यह सम्मान पाकर मैं अपने को धन्य मानता हूं। अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में समझाते हुए श्री तिवारी ने बताया कि उपन्यास लिखते समय मुझे कितना समय लगा। उन्होंने मराठी में हिन्दी साहित्य और इतिहास का क्या महत्व है इसकी भी जानकारी दी।

समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री नरेन्द्र मोहन ने श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी भवन ने श्री रंगनाथ तिवारी का चयन जिस ढंग से ‘हिन्दीरत्न’ सम्मान के लिए किया इससे पता लगता है कि पुरस्कारों व सम्मानों की साख अभी तक बची हुई है, इसके लिए हिन्दी भवन बधाई का पात्र है।

वरिष्ठ साहित्यकार श्री बलदेव वंशी ने श्री रंगनाथ रामदयाल तिवारी को बधाई देते हुए कहा कि सावन का महीना शुरू हो गया है। श्री तिवारी भी अपने वक्तव्य में सावन की तरह ही बरसे हैं। अपने अलग-अलग रंगों और अनुभवों में रंगे हैं रंगनाथ।