सन 2013 का 'हिन्दीरत्न सम्मान’ राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर, अनेक भाषाओं के विद्वान, वरिष्ठ लेखक एवं कवि प्रो. ए. अरविन्दाक्षन को प्रदान किया गया।
हिन्दीरत्न से सम्मानित होने के उपरांत प्रो. अरविन्दाक्षन ने हिन्दी भवन का आभार प्रगट करते हुए कहा कि यह सम्मान मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सम्मान देश में हिन्दी की अलख जगाने वाले राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जैसी महान विभूति के जन्म दिवस एवं पं. भीमसेन विद्यालंकार जैसे लेखक-पत्रकार की स्मृति में दिया जाता है।जिस तरह मैं मलयालम भाषी हूं उसी तरह से अपने को हिन्दीभाषी समझ रहा हूँ।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी मातृभाषा होती है और वह इतनी प्रिय होती है कि उसके सामने कोई दूसरी चीज नहीं होती। इसलिए जो व्यक्ति दूसरी भाषा में अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
समारोह का कुशल संचालन सुश्री प्रभा जाजू ने किया। हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी उपस्थित हिन्दी प्रेमियों का धन्यवाद किया।
समारोह में राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी, समाज सेवी और हिन्दी से अनुराग रखने वालों की गरिमामयी उपस्थिति रही।