सुश्री बी. एस. शांताबाई

राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 118वीं जयंती के सुअवसर पर राष्ट्रभाषा हिन्दी की अनन्य सेविका कन्नड़भाषी सुश्री बी. एस. शांताबाई को दूसरा पं. भीमसेन विद्यालंकार स्मृति ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ प्रसिद्ध समाजसेवी श्री सत्यनारायण बंसल की अध्यक्षता में दिल्ली की महापौर डॉ. अनिता आर्य द्वारा प्रदान किया गया। समारोह को प्रसिद्ध गांधीवादी साहित्यकार श्री यशपाल जैन का सान्निध्य प्राप्त हुआ। विशिष्ट वक्ता थे- सर्वश्री प्रो. वेदव्रत, डॉ. शांता मल्होत्रा एवं चमनलाल सप्रू । इस अवसर पर गीतकारद्वय श्री सोमठाकुर और श्री संतोषानंद ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को रसविभोर कर दिया। समारोह में हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री धर्मवीर (आई. सी. एस.), हिन्दी भवन के संस्थापक मंत्री पं गोपालप्रसाद व्यास, डॉ. गोविन्द व्यास, राजर्षि टंडन के दौहित्र न्यायमूर्ति श्री महेश मेहरोत्रा, भीमसेन विद्यालंकार की धर्मपत्नी श्रीमती वेदकुमारी,श्री रोशनलाल अग्रवाल, श्री रामपाल विद्यालंकार एवं श्री अजय भल्ला विशेष रूप से उपस्थित थे।

हिन्दीरत्न सुश्री बी. एस. शांताबाई का संक्षिप्त परिचय

हिन्दी की अनन्य सेविका सुश्री बी. एस. शांताबाई के विषय में यदि यह कहा जाए कि हिन्दी-सेवा के लिए आपने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति, बंगलौर के माध्यम से सुश्री बी.एस.शांताबाई दशकों से हिन्दी की निःस्वार्थ सेवा करती आ रही हैं। आपका जन्म वन-विभाग के अधिकारी कोंकणीभाषी श्री भास्करराव सिरसाट के यहां दांडेली के पास उत्तरी कर्नाटक के एक छोटे से गांव हलियाल में 16 दिसम्बर, 1931 को हुआ।

अपने गुरु श्री पी.आर.श्रीनिवास शास्त्री की प्रेरणा से आपकी रुचि निरंतर हिन्दी की तरफ बढ़ती गई। आप कस्तूरबा गांधी हिन्दी शिक्षणशाला में पढ़ने-पढ़ाने आती थीं जहां शास्त्रीजी हिन्दी शिक्षक थे। आपने 1953 तक ‘हिन्दी भाषा प्रवीण’ व साहित्य सम्मेलन की ‘मध्यमा’ परीक्षा पास कर ली। सुश्री शांताबाई 1968 से अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ और 1975 से कर्नाटक पुस्तक विक्रेता प्रकाशन समिति की सदस्या हैं। 1979 से 1983 तक आप श्री सिद्धारुड़ मठ, हुबली की ट्रस्टी रही हैं। आप 1983 में ऊर्जा मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की सदस्या और 1984 से 1989 तक हिन्दी शिक्षा समिति, भारत सरकार के शिक्षा विभाग की सदस्या रही हैं। आप 1976 से कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति की प्रधान सचिव हैं।

आपकी हिन्दी-सेवाओं के लिए हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद ने अपने रजत जयंती समारोह के अवसर पर आपको ‘प्रतिष्ठित प्रचारक’ और हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद ने ‘महा-महोपाध्याय’ की उपाधि से सम्मानित किया है। आपने बच्चों के लिए हिन्दी से कन्नड़ व कन्नड़ से हिन्दी में पुस्तकों की रचना की। एकांकी संग्रहों का चयन किया व पी.यू.सी.पाठयक्रम के लिए ‘सप्तसुमन’ संग्रह तैयार किया। आज भी कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति के माध्यम से आपके व प्रचारकों के प्रयत्न से प्रतिवर्ष हजारों विद्यार्थी हिन्दी शिक्षण प्राप्त कर समिति की विभिन्न परीक्षाओं में सम्मिलित होते हैं। सुश्री शांताबाई ने अमरीका और कनाडा में कुछ समय के लिए प्रवास भी किया है।

आज भी सुश्री शांताबाई अहिन्दी राज्य कर्नाटक में ही नहीं, संपूर्ण देश में हिन्दी के उत्थान के लिए पूर्ण निष्ठा के साथ संलग्न हैं। हिन्दी के प्रति आपका पूर्ण समर्पण हमारे लिए प्रेरणा का विषय है।