राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 117वीं जयंती 1 अगस्त, 1998 को पं. भीमसेन विद्यालंकार स्मृति पहला ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ तमिलभाषी हिन्दीसेवी श्रीमती नामगिरि राजगोपालन को प्रदान किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राजर्षि टंडन के प्रसिद्ध गीत- ‘एक हृदय हो भारत जननी’ के सुमधुर गायन से हुआ। इस सम्मान समारोह की अध्यक्षता हिन्दी-नेता एवं नागरी प्रचारिणी सभा, काशी के प्रधानमंत्री श्री सुधाकर पाण्डेय ने की। समारोह में ‘हिन्दी भवन’ के संस्थापक मंत्री पं. गोपालप्रसाद व्यास ने आशीर्वचन दिए। प्रमुख वक्ता पं. भीमसेन विद्यालंकार की सुपुत्री डॉ. शांता मल्होत्रा ने राजर्षि टंडन एवं भीमसेन विद्यालंकार के अंतरंग संबंधों पर प्रकाश डाला।
दक्षिण भारतीयों को चालीस वर्ष से हिन्दी का शिक्षण देने और हिन्दी-प्रचार करने वाली विदुषी श्रीमती राजगोपालन को ‘हिन्दी भवन’ के अध्यक्ष श्री धर्मवीर (आई.सी.एस.) ने प्रशस्ति-पत्र, श्री सुधाकर पाण्डेय ने वाग्देवी की चांदी की प्रतिमा एवं पं. भीमसेन विद्यालंकार की धर्मपत्नी श्रीमती वेदकुमारी ने सम्मान राशि का चैक प्रदान किया।
इस अवसर पर ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, दिल्ली की पूर्व महापौर श्रीमती शकुंतला आर्य, राजर्षि टंडन के पौत्र श्री विश्वमोहन टंडन तथा पौत्रवधू श्रीमती पूनम टंडन की उपस्थिति उल्लेखनीय थी।
राजर्षि टंडन जयंती एवं प्रथम ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ समारोह के अवसर पर प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री रामसुतार द्वारा निर्मित राजर्षि टंडन की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण ‘हिन्दी भवन’ के अध्यक्ष श्री धर्मवीर (आई.सी.एस.) ने किया। इस जीवंत प्रतिमा को गढ़ने के लिए सभी विशिष्टजनों ने श्री रामसुतार की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
जन्म :- मार्च – 1926
शिक्षा :- एम.ए, बी.एड./राष्ट्रभाषा कोविद
राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित ‘दिल्ली प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’ की स्थापना। 1948 से लेकर अब तक मानदरूप में राष्ट्रभाषा-सेवा के उद्देश्य से अहिन्दीभाषी भाई-बहनों को हिन्दी पढ़ा-लिखा रही हैं। राष्ट्रभाषा के द्वारा साक्षरता का प्रचार भी इनका सक्रिय कार्यक्षेत्र रहा है।
स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले श्री एम.आर.एस. राघवन एवं श्रीमती राज्यलक्ष्मी राघवन के परिवार की सदस्या के रूप में आप राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए अपने प्रयोगों के द्वारा समाज में निरंतर प्रयत्नशील हैं।
हिन्दी माध्यम से प्राथमिक पाठशाला का और वर्धा के राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की परीक्षाओं के लिए पठन-पाठन का प्रबंध एवं परीक्षाओं का संचालन भी इनके कार्यक्षेत्र का प्रमुख अंग रहा है। आप हिन्दी, तमिल,बांग्ला तथा गुजराती भाषाओं का सामान्य ज्ञान भी रखती हैं। इन्हें हिन्दी अकादमी,दिल्ली एवं अनाम सेवी सम्मान से भी पुरस्कृत किया जा चुका है।