‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2017 – श्री आलोक पुराणिक

व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार, वाचिक परंपरा के उन्नायक, अपने समय के प्रतिष्ठित पत्रकार, ब्रज साहित्य के मर्मज्ञ, हिन्दी भवन के संस्थापक एवं हिन्दीसेवी पं. गोपालप्रसाद व्यास की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाज सेवियों के बीच वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री आलोक पुराणिक को हिन्दी भवन सभागार में एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

इस इक्कीसवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री आलोक पुराणिक को वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी, चर्चित व्यंग्यकार श्री हरीश नवल, डॉ. अशोक चक्रधर, श्री सुभाष चन्दर, हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास, हिन्दी भवन न्यासी श्रीमती रत्ना कौशिक एवं श्री हरीशंकर बर्मन ने क्रमशः रजत श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, शाल, पुष्पहार, वाग्देवी की प्रतिमा और एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये की राशि देकर विभूषित किया।

श्री सुभाष चन्दर ने श्री आलोक पुराणिक को ‘व्यंग्यश्री’ मिलने पर बधाई दी तथा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज व्यंग्य का सबसे लोकप्रिय नाम आलोक पुराणिक है। व्यंग्य में जितनी प्रयोगधर्मिता आलोक के लेखन में मिलती है अन्यत्र कहीं नहीं मिलती।

वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरीश नवल ने कहा कि आलोक पुराणिक ने व्यंग्य लेखन की शुरूआत आर्थिक विषयों पर व्यंग्य-लेखन से की थी और अब वह महत्वपूर्ण व्यंग्यकार हैं। जब हास्य में व्यंग्य का प्रयोग होता है तो रचना की गुणवत्ता बढ़ जाती है। इस अवसर पर उन्होंने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को भी याद करते हुए उनके लेखन और उनके कार्यों का उल्लेख किया।

श्री आलोक पुराणिक ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को नमन करते हुए व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार प्रकट किया। उन्होंने अपनी तीन व्यंग्य रचनाओं का पाठ भी श्रोताओं के सम्मुख किया।

वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने हिन्दी भवन की प्रषंसा करते हुए कहा कि उन्होंने आलोक पुराणिक का व्यंग्यश्री सम्मान के लिए चयन करके ठीक ही किया है, क्योंकि आलोक इस सम्मान को पाने के योग्य हैं। उनके लेखन में विविधता है। उन्होंने आलोक पुराणिक को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी शक्ति का अहसास दिलाने के लिए यह सम्मान आपको दिया गया है। व्यंग्य के सौंदर्य शस्त्र की जो आपमें प्रतिभा है वह अलग ही है। इस अवसर पर डॉ. चतुर्वेदी ने अपनी एक व्यंग्य रचना का भी पाठ किया।

वरिष्ठ हास्य कवि डॉ. अशोक चक्रधर ने कहा कि आलोक पुराणिक ने नए शब्दों को अलग-अलग तरीके से गढ़ने का हुनर दिखाया है। तमाम स्थितियों को भिन्न-भिन्न कोणों से देखने की क्षमता का विकास आलोक पुराणिक ने किया है। जब तक चिंता नहीं होती तब तक व्यंग्य भी नहीं होता। व्यंग्य चिंता से पैदा होता है। आलोक पुराणिक भूमंडलीकरण के खिलाफ है।

इस समारोह का प्रारंभ हिन्दी भवन के मंत्री एवं सुप्रसिद्ध व्यंग्य कवि डॉ. गोविन्द व्यास ने किया तथा कुशल संचालन युवा व्यंगयकार श्री नीरज बधवार ने किया।