नई दिल्ली। व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार, वाचिक परंपरा के उन्नायक, अपने समय के प्रतिष्ठित पत्रकार, ब्रज साहित्य के मर्मज्ञ, हिन्दी भवन के संस्थापक एवं हिन्दीसेवी पं. गोपालप्रसाद व्यास की जन्मशती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाज सेवियों के बीच वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री नरेन्द्र कोहली को हिन्दी भवन सभागार में एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
इस उन्नीसवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री कोहली को वरिष्ठ साहित्यकार श्री बालस्वरूप राही, श्री अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी (कुलपति हि. प्र. विश्वविद्यालय, शिमला) व्यंग्यकार श्री सुभाष चन्दर, हिन्दी भवन के अध्यक्ष एवं कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. अशोक चक्रधर हिन्दी भवन की न्यासी गीता चन्द्रन एवं डॉ. रत्ना कौशिक ने क्रमशः रजत श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, शाल, पुष्पहार, वाग्देवी की प्रतिमा और एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये की राशि देकर विभूषित किया।
व्यंग्यकार श्री सुभाष चन्दर ने नरेन्द्र कोहली का परिचय देते हुए कहा कि उनका व्यंग्य जो भी तोड़ने लायक है, उसे रेखांकित करता है। उन्होंने व्यासजी को स्मरण करते हुए कहा कि व्यासजी की तपस्या का फल आज हमें ‘हिन्दी भवन’ के रूप में दिखाई दे रहा है।
व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए नरेन्द्र कोहली ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को याद करते हुए कहा कि व्यासजी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी जन्मशती के अवसर पर मुझे व्यंग्यश्री सम्मान मिलना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जब तक आपमें आक्रोश नहीं, तब तक आप अच्छा व्यंग्य लिख ही नहीं सकते। व्यंग्य लिखने के लिए करुणा और आक्रोश दोनों की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी तीन व्यंग्य रचनाओं का पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए नरेन्द्र कोहली ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को याद करते हुए कहा कि व्यासजी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी जन्मशती के अवसर पर मुझे व्यंग्यश्री सम्मान मिलना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जब तक आपमें आक्रोश नहीं, तब तक आप अच्छा व्यंग्य लिख ही नहीं सकते। व्यंग्य लिखने के लिए करुणा और आक्रोश दोनों की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी तीन व्यंग्य रचनाओं का पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं समारोह के अध्यक्ष श्री बालस्वरूप राही ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज व्यासजी की जन्मशती नहीं, हिन्दी साहित्य में हास्य-व्यंग्य की जन्मशती है। श्री राही ने कहा कि नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य आदमी को कचोटता ही नहीं, एक दिशा भी प्रदान करता है। हिन्दी भवन ने कोहलीजी को सम्मानित करके ‘व्यंग्यश्री’ सम्मान को गौरवान्ति किया है।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं समारोह के अध्यक्ष श्री बालस्वरूप राही ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज व्यासजी की जन्मशती नहीं, हिन्दी साहित्य में हास्य-व्यंग्य की जन्मशती है। श्री राही ने कहा कि नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य आदमी को कचोटता ही नहीं, एक दिशा भी प्रदान करता है। हिन्दी भवन ने कोहलीजी को सम्मानित करके ‘व्यंग्यश्री’ सम्मान को गौरवान्ति किया है।