व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार पं. गोपालप्रसाद व्यास के जन्म दिन पर दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान-2013’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाजसेवियों के बीच वरिष्ठ और चर्चित व्यंग्यकार श्री हरि जोशी को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। इस सत्रहवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री जोशी को वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव, विख्यात व्यंग्यकार श्री यज्ञ शर्मा, डॉ. प्रेम जनमेजय, हिन्दी भवन के कोषाध्यक्ष श्री हरीशंकर बर्मन, डॉ. गोविन्द व्यास एवं सुश्री निधि गुप्ता ने क्रमशः प्रशस्ति पत्र, शाल, पुष्पहार, वाग्देवी की प्रतिमा, रजत-श्रीफल और इक्यावन हजार रुपये की राशि देकर विभूषित किया।
जाने-माने व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजनय ने हरि जोशी को बधाई देते हुए कहा कि परंपरा बनाना आसान है, उसको निभाना बहुत मुश्किल है। हिन्दी भवन पिछले सोलह वर्षों से ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ दे रहा है। जितने भी व्यंग्य के श्रेष्ठ रचनाकार हैं, उन्हें इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। इस सत्रहवें पुरस्कार के लिए उचित पात्र के चयन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी, निष्पक्ष विवेचना तथा सर्वसम्मति पर आधारित होती है।
यज्ञ शर्मा ने हिन्दी भवन के संस्थापक व्यासजी का स्मरण करते हुए कहा कि हरि जोशी हमेशा आत्म विश्वास से लबालब रहते हैं। उन्होंने उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व की व्याख्या करते हुए कहा कि इनका नाम भी दो सर्वश्रेष्ठ व्यंग्यकारों के नाम से प्रभावित है। इनके नाम में हरिशंकर परसाई का ‘हरि’ और शरद जोशी का ‘जोशी’ सम्मिलित है। उनके मूलतः इंजीनियर होने पर चुटकी लेते हुए कहा कि इंजीनियर और व्यंग्यकार दोनों में समानता है। दोनों को ही ठोक-पीट करनी पड़ती है। व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए हरि जोशी ने हिन्दी भवन के संस्थापक पं. गोपालप्रसाद व्यास को याद किया तथा उनसे संबंधित कुछ संस्मरणों के साथ-साथ उनकी एक कविता ‘अफसर और घोड़ा’ तथा अपने दो व्यंग्य-पाठ भी पढ़े।
वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने अपना अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि व्यंग्यकार का दायित्व समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के इस कठिन दौर में विशेष रूप से युवा पीढ़ी की हिन्दी से विमुखता पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यंग्यकार की जिम्मेदारी और महत्वपूर्ण हो जाती है। व्यंग्यकार अपनी भाषा की रोचकता के माध्यम से इस पीढ़ी तक पहुंच कर उसे अपनी भाषा एवं संस्कृति की ओर लौटा सकता है। श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह का कुशल संचालन श्रीमती इन्दिरा मोहन ने किया। उन्होंने पंडित गोपालप्रसाद व्यास को याद करते हुए कहा कि व्यासजी व्यक्ति नहीं संस्था थे। उनका सपना था कि राजधानी दिल्ली में एक हिन्दी भवन बने। उनका सपना पूरा हुआ। उनके द्वारा प्रारंभ किया गया ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुका है। धन्यवाद ज्ञापन प्रसिद्ध व्यंग्य कवि एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने किया।
इस अवसर पर राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, हिन्दीसेवी एवं राज-समाजसेवी काफी संख्या में उपस्थित थे। जिनमें प्रमुख हैं सर्वश्री शेरजंग गर्ग, प्रदीप पंत, शीला झुनझुनवाला, कमला सिंघवी, महेशचन्द्र शर्मा, रामनिवास लखोटिया, रोशनलाल अग्रवाल, संतोष माटा, रमा पाण्डेय, अतुल प्रभाकर, रामनिवास जाजू, रामशरण गौड़, वीरेन्द्र सक्सेना, गिरीश भालवर, मधु गुप्ता, सरोजिनी प्रीतम, नूतन कपूर, इरफान (कार्टूनिस्ट) एवं राजेश चेतन।