‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2011 – श्री प्रदीप पंत

व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार पं. गोपालप्रसाद व्यास के जन्मदिवस पर प्रतिवर्ष 13 फरवरी को दिए जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान-2011’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाजसेवियों के बीच वरिष्ठ और चर्चित व्यंग्यकार श्री प्रदीप पंत को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।

इस पन्द्रहवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री प्रदीप पंत को कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, डॉ. गंगाप्रसाद विमल, वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी, वरिष्ठ कवि डॉ. शेरजंग गर्ग, श्री रामनिवास लखोटिया और डॉ. रत्ना कौशिक ने क्रमशः प्रशस्ति पत्र, शाल, पुष्पहार, वाग्देवी की प्रतिमा, रजतश्रीफल और इक्यावन हजार रुपये की राशि देकर विभूषित किया। व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए श्री प्रदीप पंत ने अपने एक व्यंग्य लेख का पाठ किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो व्यंग्य लेखक को अपने उपर व्यंग्य करने की क्षमता होनी चाहिए तभी वह एक श्रेष्ठ व्यंग्यकार बन सकता है।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने व्यंग्यश्री प्रदीप पंत को बधाई देते हुए कहा कि प्रदीप पंत अपनी व्यंग्य रचनाओं में गहरी बात कहते हैं। उन्होंने व्यंग्यश्री सम्मान में पारदर्शिता बरतने पर हिन्दी भवन की सराहना की। मुख्य अतिथि विषय पर उन्होंने अपनी सारगर्भित व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियां की। जिसे सुनकर श्रोतागण देर तक ठहाके लगाते रहे।

समारोह के अध्यक्ष डॉ. गंगाप्रसाद विमल ने कहा कि आज प्रदीप पंत को व्यंग्यश्री से सम्मानित करके हिन्दी भवन ने अभी तक दिए जाने वाले व्यंग्यश्री सम्मानों में इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि प्रदीप पंत ऐसे व्यंग्यकार हैं, जिन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनीतिक हर प्रकार की विसंगतियों पर व्यंग्य लिखे हैं। पंत, परसाई के बाद के उन लेखकों में से है जिनका लेखन का दायरा विषयगत विविधता के कारण बहुत व्यापक हैं।

समारोह के वरिष्ठ अतिथि डॉ. शेरजंग गर्ग ने कहा कि पं. गोपालप्रसाद व्यासजी के जन्म दिन पर दिया जाने वाला ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ अब राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। ‘पद्मश्री सम्मान’ तो वर्ष में बहुत लोगों को मिलती है, मगर ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ एक ही व्यक्ति को मिलता है। अब तो देश के कई राज्यों में ‘व्यंग्यश्री सम्मान शुरू हो गया है, इसलिए इसका महत्व ज्यादा है। प्रदीप पंत को बधाई देते हुए उन्होंने कहा व्यंग्य लिखना बहुत मुश्किल काम है,जिसे प्रदीप पंत निरंतर 50 वर्षों से बखूबी कर रहे हैं। उनके न केवल व्यंग्य-संग्रह बल्कि कई व्यंग्य उपन्यास भी प्रकाशित हुए हैं, जबकि व्यंग्य लेखकों ने उपन्यास बहुत कम ही लिखे हैं।

समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और व्यंग्यश्री सम्मान का संक्षिप्त परिचय दिया। हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने सभी आगंतुको का धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह का संचालन डॉ. प्रेम जनमेजय ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और श्री प्रदीप पंत के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए कुशलतापूर्वक किया।

इस अवसर पर सर्वश्री बालस्वरूप राही, वीरेन्द्र प्रभाकर, संतोष माटा, महेशचंद्र शर्मा, हरीशंकर बर्मन, पुष्पा राही, अरूण बर्मन, महेश दर्पण, आशा जोशी, हिमांशु जोशी, नूतन कपूर, मनोहर पुरी, चमनलाल सप्रू, अरूण केसरी, पंकज भालवर, मधु गुप्ता, मुरारीलाल त्यागी, किशोर कुमार कौशल, ज्ञानप्रकाश विवेक, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, भारत भारद्वाज, पंकज विष्ट, विजय किशोर मानव, राजेन्द्र उपाध्याय, सौमित्र मोहन, शरद दत्त, केवल गोस्वामी, उदभ्रांत, उपेन्द्र कुमार, विवेकानंद, रमा पाण्डे, अरूणा कपूर, प्रताप सिंह, अखिल मित्तल, हरिपाल त्यागी, देवेन्द्र उपाध्याय, चारू तिवारी, सर्वेश, अलका सिन्हा, रंजन जैदी, निशा भार्गव और राजधानी के अनेक लेखक,पत्रकार तथा राज-समाज सेवी समारोह में उपस्थित थे।