व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार पं. गोपालप्रसाद व्यास के जन्मदिवस पर प्रतिवर्ष 13 फरवरी को दिए जाने वाला प्रतिष्ठित ‘व्यंग्यश्री सम्मान-2010’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाज सेवियों के बीच वरिष्ठ और चर्चित व्यंग्यकार श्री यज्ञ शर्मा को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने व्यंग्यश्री सम्मान की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पं. गोपालप्रसाद व्यास जी के जीवनकाल में ही इस सम्मान की शुरुआत होगई थी। अब तक यह सम्मान डॉ. शेरजंग गर्ग, रवीन्द्रनाथ त्यागी, श्रीलाल शुक्ल, शंकर पुण्ताम्बेकर, लतीफ घोंघी, गोपाल चतुर्वेदी, मनोहरश्याम जोशी, अलका पाठक, सूर्यबाला, के.पी.सक्सेना, ज्ञान चतुर्वेदी, प्रेम जनमेजय को दिया जा चुका है।
सम्मान अर्पण से पूर्व समारोह के संचालक व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजय ने चुटकी लेते हुए श्री यज्ञ शर्मा को ‘अज्ञात यौवना’ नायिका बताया। उन्होंने कहा कि अधिकांश लेखक आत्ममुग्ध होते हैं और ‘मुग्धा’ नायिका जैसी भंगिमा में रहते हैं, लेकिन श्री यज्ञ शर्मा ‘अज्ञात यौवना’ नायिका की तरह हैं, जिसे अपनी रूपराशि का कोई भान नहीं है।
इस चौदहवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री यज्ञ शर्मा को हिन्दी भवन के अध्यक्ष और कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, उ. प्र. भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, वरिष्ठ कवि-पत्रकार श्री कन्हैयालाल नंदन और नवभारत टाइम्स (मुंबई) के पूर्व संपादक और ‘नवनीत डाइजेस्ट’ के संपादक डॉ. विश्वनाथ सचदेव, हिन्दी भवन के कोषाध्यक्ष श्री हरीशंकर बर्मन तथा न्यासी डॉ. रत्ना कौशिक ने क्रमशः प्रशस्ति पत्र, शाल, पुष्पगुच्छ, वाग्देवी की प्रतिमा, प्रतीक चिह्न, इक्यावन हजार रुपये की सम्मान राशि और रजत श्रीफल देकर विभूषित किया।
इस अवसर पर श्री यज्ञ शर्मा के सत्साहित्य प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित पहले व्यंग्य-संग्रह ‘सरकार का घड़ा’ का लोकार्पण भी किया गया।
व्यंग्यश्री सम्मान ग्रहण करने के बाद श्री यज्ञ शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मेरे पिता डॉ. गोपालदत्त और पंडित गोपालप्रसाद व्यास घनिष्ठ मित्र थे। आज इस समारोह की अध्यक्षता डॉ. गोपाल चतुर्वेदी कर रहे हैं। इस तरह यह व्यंग्यश्री सम्मान मेरे लिए तीन गोपालों का शुभाशीष ही है। व्यंग्यश्री सम्मान प्रदान करने के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए श्री यज्ञ शर्मा ने अपने दो चुटीले और धारदार व्यंग्य-लेखों ‘लर्न इंग्लिश’ और ‘हे राम !’ का अपने निराले अंदाज में पाठ किया। इस दौरान उनके चुटीले कथनों पर सभागार में बार-बार तालियां गूंजती रहीं।
डॉ. कन्हैयालाल नंदन ने व्यंग्यश्री यज्ञ शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि आज व्यंग्य शैली है या विधा, यह बहस खत्म हो चुकी है। आज व्यंग्य लेखन पूरे जोरों पर है। यज्ञ शर्मा छोटे-छोटे वाक्यों वाली अपनी छोटी-छोटी व्यंग्य रचनाओं में गहरी बात कहते हैं। श्री नंदन ने व्यंग्यश्री सम्मान की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बताया।
समारोह के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि पुरस्कार के चयन में गुणवत्ता, निरंतरता और पारदर्शिता को आधार बनाया गया है। इस सम्मान का नामकरण पं. गोपालप्रसाद व्यास ने सही किया था। जिसे ‘व्यंग्यश्री’ मिल जाए उसे ‘पद्मश्री’ की दरकार नहीं होती। यज्ञजी को व्यंग्यश्री से सम्मानित करके व्यंग्य का सम्मान किया गया है। पं. गोपालप्रसाद व्यास भारतीय परंपरा के व्यंग्यकार थे तो यज्ञ शर्मा व्यास-परंपरा के व्यंग्यकार हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि यज्ञ शर्मा ने अपने व्यंग्य कॉलम में मुंबई में प्रचलित मुहावरे खाली-पीली को नया अर्थ दिया। उन्होंने कहा कि श्री शर्मा की रचनाएं बड़ी मेहनत से लिखी गई हैं। कहने को लेखन स्वांतः सुखाय होता है, लेकिन यह प्रकारांतर से सामाजिक कल्याण की भावना से लिखी जाती है और एक प्रकार से इस तरह का लेखन ही वास्तविक तौर पर सम्मान करने योग्य है। इन्होंने व्यंग्य लेखन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया है, और पूरी आस्था से उसका निर्वाह किया है। व्यंग्य लेखन में ईमानदारी बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण होती है। व्यंग्य लिखना बहुत मुश्किल काम है जिसे यज्ञ शर्मा निरंतर चालीस वर्षों से कर रहे हैं।
डॉ. विश्वनाथ सचदेव ने पं. गोपालप्रसाद व्यास का स्मरण करते हुए कहा कि मैंने व्यासजी को हास्यरसावतार या व्यंग्य विशारद से पहले बचपन में “है समय नदी की धार कि जिसमें सब बह जाया करते है, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं।” और “कदम-कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा” के राष्ट्रकवि के रूप में जाना था। व्यासजी ब्रजभाषा के समर्थ कवि, व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार, राष्ट्रवाणी के उदघोषक और महान हिन्दीसेवी थे।
समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और व्यंग्यश्री सम्मान का संक्षिप्त परिचय दिया। समारोह का संचालन पिछले साल के व्यंग्यश्री डॉ. प्रेम जनमेजय ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और श्री यज्ञ शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए कुशलतापूर्वक किया।
समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और व्यंग्यश्री सम्मान का संक्षिप्त परिचय दिया। समारोह का संचालन पिछले साल के व्यंग्यश्री डॉ. प्रेम जनमेजय ने पं. गोपालप्रसाद व्यास और श्री यज्ञ शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए कुशलतापूर्वक किया।