पं. गोपालप्रसाद व्यास कवि के रूप में इतने अधिक लोकप्रिय हुए कि उनका गद्यकार का रूप कुछ छिप-सा गया। जबकि सच्चाई यह है व्यासजी ने जिस मात्रा में काव्य-रचना की है, उससे कहीं ज्यादा गद्य-रचनाएं लिखी हैं। व्यासजी ने व्यंग्य-लेख, निबंध, संस्मरण, उपन्यास, यात्रा -वृत्तांत आदि विधाओं में अपनी कलम बखूबी चलाई है। वरिष्ठ आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने व्यासजी के गद्य की प्रशंसा करते हुए कहा था- “हिन्दी का अच्छा गद्य जिन्होंने लिखा है वे अधिकांश पत्रकार रहे हैं। पत्रकारों का लेखन जल्दी का लेखन होता है, इसीलिए उसमें चर्बी नहीं होती। यह चर्बी विशेषणों से आती है और वाक्य लंबे होते हैं, जबकि पत्रकारों के लेखों में वाक्य छोटे-छोटे होते हैं। व्यासजी एक सफल पत्रकार थे, इसलिए उनका गद्य मेरी दृष्टि में उनके पद्य से अधिक प्रभावोत्पादक, सरल और सरस है।” आइए, व्यासजी के व्यंग्य-साहित्य का आस्वादन करें।