‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2007 – डॉ. सूर्यबाला

समकालीन व्यंग्य एवं कथा-साहित्य में अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्व रखने वाली डॉ. सूर्यबाला को ग्यारहवें ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ से नवाज़ा गया। 25 अक्टूबर, 1943 को वाराणसी (उ.प्र.) में जन्मीं डॉ. सूर्यबाला के दस कथा-संग्रह और तीन व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें प्रमुख है :-

अजगर करे न चाकरी, धृतराष्ट्र टाइम्स, देश-सेवा के अखाड़े में (व्यंग्य-संग्रह) मेरे संधि-पत्र, सुबह के इंतज़ार तक, अग्निपंखी, यामिनी कथा, दीक्षांत (उपन्यास) एक इंद्रधनुष, दिशाहीन, थाली भर चांद, मुंडेर पर, गृहप्रवेश, सांझवाती, कात्यायनी संवाद, इक्कीस कहानियां,पांच लंबी कहानियां, सिस्टर ! प्लीज आप जाना नहीं, मानुस गंध (कथा-संग्रह)। व्यंग्यश्री सम्मान-2007 की मुख्य अतिथि थीं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सरोदवादिका श्रीमती शरनरानी बाकलीवाल। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डॉ. निर्मला जैन ने की। समारोह का संचालन नौवें व्यंग्यश्री सम्मान से अलंकृत प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने ऐसे प्रभावशाली और चुटीले अंदाज़ में किया कि श्रोता वाह-वाह कर उठे।