परसाई के बाद की हिन्दी-व्यंग्य लेखकों की पीढ़ी के सर्वाधिक संभावनाशील व्यंग्यकार के तौर पर स्वीकृत डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को नौवां ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ वरिष्ठ आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने श्री मनोहरश्याम जोशी की अध्यक्षता में प्रदान किया। इस अवसर पर सर्वश्री गोपाल चतुर्वेदी (लखनऊ), हरि जोशी (भोपाल), प्रेम जनमेजय (दिल्ली), विष्णु नागर (दिल्ली), हरीश नवल (दिल्ली) और व्यंग्यश्री से सम्मानित डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी (भोपाल) ने अपने-अपने धारदार व्यंग्य-लेखों का पाठ किया। डॉ. ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी का जन्म 2 अगस्त, 1952 को उत्तर प्रदेश के मऊरानीपुर (झांसी) में हुआ। श्री चतुर्वेदी ने ‘नरक-यात्रा’, ‘बारामासी’ और ‘मरीचिका’ जैसे चर्चित व्यंग्य-उपन्यास लिखे हैं। इनके चर्चित व्यंग्य-संग्रह हैं- ‘प्रेतकथा’, ‘दंगे में मुर्गा’, ‘खामोश, नंगे हमाम में हैं’, ‘बिसात बिछी है’ और ‘मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएं’।