लोकप्रिय कविताएं

व्यासजी की कविता-यात्रा ने बड़ी दूरियां तय कीं। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और कलकत्ता से लेकर काहिरा तक। शायद ही कोई उल्लेखनीय स्थान ऐसा बचा हो, जहां उनकी कविता ने श्रोताओं को गुदगुदाया न हो, उनके ओठों पर मुस्कान न थिरकाई हो और हिन्दी-कविता में भी कुछ जान है, इसका भान रसिकों को न कराया हो। गांवों की चौपालों, मजदूरों की झुग्गी-बस्तियों, स्कूलों-कॉलेजों, पुस्तकालयों से लेकर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के मंचों पर यह मुखरित हुई है।

पं.गोपालप्रसाद व्यास जिन्हें लोग हास्यरसावतार और पत्नीवाद के प्रवर्तक के रूप में जानते हैं। जिनकी पहचान गद्य और पद्य में व्यंग्य के उत्कृष्ट रचनाकार के रूप में साठ दशकों से भी अधिक समय तक बनी रही। उनके न होते हुए आज भी लाखों लोगों द्वारा वे अपनी कृतियों और कैसेटों के माध्यम से पढ़े और सुने जाते हैं। व्यासजी की कविता के तीन अंग थे- रंग, जंग और व्यंग्य। रंग यानी श्रृंगार, जंग यानि वीररस और हास्य-व्यंग्य। व्यासजी की कविताओं ने अपने समय में काव्य-मंचों पर बड़ी धूम मचाई है। आज भी उनकी कविताएं लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। आइये, पढ़ें उनकी कुछ चुनिंदा कविताएं।