व्यंग्य-विनोद कवि सम्मेलन – 8 मई, 2015

व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार एवं हास्यरसावतार पंडित गोपालप्रसाद व्यास की जन्मशती के उपलक्ष्य में आयोजित व्यंग्य-विनोद कवि सम्मेलन शुक्रवार, 8 मई, 2015 को हिन्दी भवन सभागार में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में वरिष्ठ व्यंग्य कवि एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने आमंत्रित कवियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए इस कवि सम्मेलन का संचालन सुप्रसिद्ध हास्य कवि श्री सुरेन्द्र शर्मा को सौंप दिया।

सभी कवियों ने पंडित गोपालप्रसाद व्यास को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके साहित्य में दिए गए अटूट योगदान को स्मरण किया।

नृसिंहपुर से पधारे सुपरिचत कवि गुरु सक्सेना ने काव्यपाठ प्रारंभ करते हुए कहाः-

सांपों के जुलूस में मेंढक नारे लगा रहे,
नेवले भी स्वागत में हार पहना रहे,
राम राज्य वाले दृश्य दिखने लगे हैं हमें,
जैसे-जैसे चुनाव के दिन पास आ रहे।

सूर्यकुमार पांडेय ने कहा-

फूट दो दिन में पड़ी, यह सिलसिला होना ही था,
नाम रक्खा ‘आम’ तो फिर पिलपिला होना ही था।
ग्वालियर से पधारे हास्य कवि प्रदीप चौबे का कहना था-

कोई हम-सा हुनर तो दिखलाए,
हम भिखारी से भीख ले आए।
होशंगाबाद से पधारे सुरेश उपाध्याय ने कहा –
जो जनता की रूचि के अनुकूल नहीं है,
मैं ऐसा कोई गीत गढ़ नहीं सकता।
मैंने निराला की मौत देखी है,
मैं साहित्य के चक्कर में पड़ नहीं सकता।

सुपरिचित कवि सर्वश्री अशोक चक्रधर, मनोहर मनोज एवं सुरेन्द्र शर्मा ने जहां देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन में श्रोताओं को हंसाया और गुदगुदाया, वहीं समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ हास्य कवि जैमिनी हरियाणवी ने अपनी इन पंक्तियों :

नींद आवै नहीं रात भर,
जबसे बिटिया बड़ी हो गई।
से इस कवि सम्मेलन का समापन किया।

हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी के सान्निध्य में आयोजित इस कवि सम्मेलन में राजधानी के लेखक, पत्रकार, हिन्दी एवं समाजसेवी काफी संख्या में उपस्थित थे।