काव्य-संध्या – 30 मार्च, 2012

शुक्रवार, 30 मार्च, 2012 को एक सुरुचिपूर्ण काव्य-संध्या का सफल आयोजन हिन्दी भवन द्वारा अपने ही सभागार में किया गया। इस काव्य-संध्या में देश भर के शहरों एवं कस्बों से पधारे प्रतिभागी कवियों में शामिल थे सर्वश्री कुंवर बेचैन (गाजियाबाद), रामेन्द्र त्रिपाठी (आगरा), महावीर द्विवेदी (अलीगढ़), सर्वेश चंदौसवी (दिल्ली), मक्खन मुरादाबादी (मुरादाबाद), कुंवर जावेद (कोटा), बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), कमल मुसद्दी (कानपुर), अलका सिन्हा (दिल्ली) एवं शिवओम अम्बर (फर्रुखाबाद)। अद्भुत एवं मनोहारी मंच-सज्जा वाली इस काव्य-संध्या में पधारे कवियों ने अपने काव्यपाठ से खचाखच भरे सभागार में उपस्थित श्रोताओं को अंत तक बैठने पर विवश कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं शायर श्री अनीस अहमद की अध्यक्षता में आयोजित इस काव्य-संध्या का प्रारंभ गाजियाबाद से पधारे वरिष्ठ कवि डॉ. कुंवर बेचैन की सरस्वती वंदना से हुआ। अपने काव्यपाठ से कुंवर बेचैन ने इस गीत पर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया-

गमों की आंच पे आंसू उबाल कर देखो,
बनेंगे रंग किसी पर भी डाल कर देखो।
तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी,
किसी के पांव से कांटा निकालकर देखो।
वो जिसमें लौ है विरोधों में और चमकेगा,
किसी दिए पे अंधेरा उछाल कर देखो।

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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया,
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया।
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियां,
दीवारों मेरी राह में आने का शुक्रिया॥

युवाकवि बलराम श्रीवास्तव की इन पंक्तियों ने खूब समां बांधा-

मैं मरुथल का राही हूंमुझे मधुमास लिख देना।
किसी पनघट की सीढ़ी परमुझे तुम प्यास लिख देना।

कोटा से पधारे कुंवर जावेद ने अपने दोहों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए कहा-

हमारे देश में ये होता है लोगोंसजाएं दी नहीं जाती सुनाई जाती हैं।

क्रेच में बच्चे को छोड़कर जाने वाली कामकाजी महिला की पीड़ा को उकेरते हुए श्रीमती अलका सिन्हा ने कहा कि-

नन्हीं मुट्ठी की जकड़ में साड़ी की अकड़ मोम हो जाती है,
एक पल ठिठक कर कलाई झटक कर आगे बढ़ जाती है।
बच्चे का रोना दूर तक साथ जाता है,
चौराहे पर दोनों टकराते हैंकलफदार साड़ी और मोमदार चेहरा।

रामेन्द्र त्रिपाठी ने युवा पीढ़ी को सचेत करते हुए कहा-

वक्त जब बीत गया तो फिर क्या चेते उम्र कट जाती है,
यूं ही लेते-देते। जो अपने मां-बाप की दुआ नहीं लेते,
फरिश्ते भी उन्हें मंजिल का पता नहीं देते।

इनके अलावा मक्खन मुरादाबादी, कमल मुसद्दी एवं शिवओम अम्बर ने भी श्रोताओं को अपनी कविताओं की वासंती फुहारों से सराबोर कर दिया। अंत में अपने क़लामों से अनीस अहमद ने अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस काव्य संध्या का संचालन श्री शिवओम अम्बर ने कुशलता से किया और अंत में हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने सभी का धन्यवाद किया। इस काव्य संध्या के प्रारंभ में अपने समय के यशस्वी लेखक एवं पत्रकार स्व. श्री ऋषभ चरण जैन के तैलचित्र का भी अनावरण किया गया। काव्य संध्या में सदैव की भांति राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी भारी संख्या में उपस्थित थे। जिनमें प्रमुख हैं हिन्दी भवन के मंत्री एवं प्रसिद्ध व्यंग्य कवि डॉ. गोविन्द व्यास , सर्वश्री डॉ. निर्मला जैन, रामनिवास जाजू, राजनारायण बिसारिया, वीरेन्द्र प्रभाकर, शीला झुनझुनवाला, रोशनलाल अग्रवाल, रामनिवास लखोटिया, बाबूलाल शर्मा, प्रदीप पंत, अतुल प्रभाकर, स्नेह सुमन, पद्मचंद गुप्ता, महेन्द्र शर्मा, सुषमा यादव, चमनलाल सप्रू, नूतन कपूर, उषा पुरी एवं मधु गुप्ता आदि।