हिन्दी के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय गीतकार स्व. भारतभूषण तथा गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतिनिधि कवि एवं शायर अदम गोंडवी की स्मृति में एक स्मृति सभा का आयोजन बृहस्पतिवार, 22 दिसम्बर, 2011 को हिन्दी भवन के तत्वावधान में किया गया। अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पूर्व सांसद एवं कवि उदयप्रताप सिंह ने कहा कि भारतभूषण और गोंडवी दोनों ही अपनी-अपनी विधा के रत्न थे। भूषणजी की हस्ताक्षर कविता ‘राम की जल समाधि’ पर मैंने जनता को रोते हुए देखा है। अदमजी पर जनवादी प्रगतिशील कवि का लेबल लगा। वे निर्दोष फरिशते थे।
वरिष्ठ गीतकार बालस्वरूप राही ने अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भूषणजी विलक्षण गीतकार थे। उनकी कविताएं पढ़ने पर भी उतनी ही अच्छी लगती हैं, जितनी सुनने पर।
सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अशोक चक्रधर ने कहा कि इन दोनों के निधन से हमारी वाचिक परंपरा का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। ये दोनों फक्कड़ कवि थे।
हिन्दी भवन के मंत्री एवं व्यंग्य कवि डॉ. गोविन्द व्यास ने इन दोनों से संबंधित कवि-सम्मेलनीय संस्मरण सुनाते हुए कहा कि दोनों ही अपनी-अपनी कविताओं के अलग-अलग ध्रुव थे, लेकिन व्यक्तित्व ऐसा था कि मिलन एक ही स्थान पर होता था।
वरिष्ठ कवि शेरजंग गर्ग ने कहा कि अदम गोंडवी सादगी की अनुपम मिसाल थे। मैं भारतभूषण को उनकी प्रेमाभिव्यक्ति के कारण आधुनिक घनानंद के रूप में देखता हूं। इन दोनों के निधन से हिन्दी जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है।
स्मृति सभा के प्रारंभ में वरिष्ठ कवयित्री नूतन कपूर ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भारतभूषणजी का एक गीत पढ़कर सुनाया।
इस स्मृति सभा में सर्वश्री रामनिवास जाजू, वीरेन्द्र प्रभाकर, मंगल नसीम, सर्वेश चंदौसवी, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, प्रदीप पंत, राजेश चेतन, कीर्ति काले, रत्ना कौशिक, संतोष माटा, बलजीत कौर तन्हा, सतीश सागर, नीतू पाण्डेय, शशिकांत, राजगोपाल सिंह एवं किशोरकुमार कौशल आदि ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस स्मृति सभा में राजधानी के अनेक कवि, लेखक, पत्रकार एवं साहित्यप्रेमी काफी संख्या में उपस्थित थे। स्मृति सभा के अंत में हिन्दी भवन के प्रबंधक सपन भट्टाचार्य ने हिन्दी भवन की ओर से शोक प्रस्ताव का वाचन किया।
हिन्दी के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय गीतकार स्व. भारतभूषण तथा गंगा-जमुनी संस्कृति के प्रतिनिधि कवि एवं शायर अदम गोंडवी की स्मृति में एक स्मृति सभा का आयोजन बृहस्पतिवार, 22 दिसम्बर, 2011 को हिन्दी भवन के तत्वावधान में किया गया। अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पूर्व सांसद एवं कवि उदयप्रताप सिंह ने कहा कि भारतभूषण और गोंडवी दोनों ही अपनी-अपनी विधा के रत्न थे। भूषणजी की हस्ताक्षर कविता ‘राम की जल समाधि’ पर मैंने जनता को रोते हुए देखा है। अदमजी पर जनवादी प्रगतिशील कवि का लेबल लगा। वे निर्दोष फरिशते थे।
वरिष्ठ गीतकार बालस्वरूप राही ने अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भूषणजी विलक्षण गीतकार थे। उनकी कविताएं पढ़ने पर भी उतनी ही अच्छी लगती हैं, जितनी सुनने पर।
सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अशोक चक्रधर ने कहा कि इन दोनों के निधन से हमारी वाचिक परंपरा का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। ये दोनों फक्कड़ कवि थे।
हिन्दी भवन के मंत्री एवं व्यंग्य कवि डॉ. गोविन्द व्यास ने इन दोनों से संबंधित कवि-सम्मेलनीय संस्मरण सुनाते हुए कहा कि दोनों ही अपनी-अपनी कविताओं के अलग-अलग ध्रुव थे, लेकिन व्यक्तित्व ऐसा था कि मिलन एक ही स्थान पर होता था।
वरिष्ठ कवि शेरजंग गर्ग ने कहा कि अदम गोंडवी सादगी की अनुपम मिसाल थे। मैं भारतभूषण को उनकी प्रेमाभिव्यक्ति के कारण आधुनिक घनानंद के रूप में देखता हूं। इन दोनों के निधन से हिन्दी जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है।
स्मृति सभा के प्रारंभ में वरिष्ठ कवयित्री नूतन कपूर ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भारतभूषणजी का एक गीत पढ़कर सुनाया।
इस स्मृति सभा में सर्वश्री रामनिवास जाजू, वीरेन्द्र प्रभाकर, मंगल नसीम, सर्वेश चंदौसवी, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, प्रदीप पंत, राजेश चेतन, कीर्ति काले, रत्ना कौशिक, संतोष माटा, बलजीत कौर तन्हा, सतीश सागर, नीतू पाण्डेय, शशिकांत, राजगोपाल सिंह एवं किशोरकुमार कौशल आदि ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस स्मृति सभा में राजधानी के अनेक कवि, लेखक, पत्रकार एवं साहित्यप्रेमी काफी संख्या में उपस्थित थे। स्मृति सभा के अंत में हिन्दी भवन के प्रबंधक सपन भट्टाचार्य ने हिन्दी भवन की ओर से शोक प्रस्ताव का वाचन किया।